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जी 20 सम्मेलन में अर्थव्यवस्था और आतंकवाद पर रहेगा फोकस

हेंगझोउ : दुनिया के शीर्ष नेता इस सप्ताहांत में यहां आयोजित होने वाली जी-20 शिखरवार्ता में वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति पर बातचीत करने वाले हैं और इस आयोजन पर द्विपक्षीय मुद्दों और आतंकवाद के बढते खतरे की भी छाया रह सकती है, वहीं मेजबान चीन दक्षिण चीन सागर विवाद पर किसी तरह के संदर्भ से […]

हेंगझोउ : दुनिया के शीर्ष नेता इस सप्ताहांत में यहां आयोजित होने वाली जी-20 शिखरवार्ता में वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति पर बातचीत करने वाले हैं और इस आयोजन पर द्विपक्षीय मुद्दों और आतंकवाद के बढते खतरे की भी छाया रह सकती है, वहीं मेजबान चीन दक्षिण चीन सागर विवाद पर किसी तरह के संदर्भ से बच सकता है.

चीन के इस पूर्वी शहर में चार और पांच सितंबर को शिखरवार्ता ऐसे समय में होने जा रही है जबकि कई यूरोपीय देशों में आतंकवादी हमलों ने अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को खतरा पहुंचाया है जिनकी जिम्मेदारी आईएसआईएस ने ली है.
चीन में यह शिखरवार्ता ऐसे समय में हो रही है जब वह दक्षिण चीन सागर पर अपने दावों को खारिज करने वाली अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण की व्यवस्था के प्रभाव को कमजोर करने की कोशिश में लगा है. इसके अलावा उसके भारत, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका के साथ संबंधों में तनाव भी चल रहा है.
चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग से जब हाल ही में पूछा गया था कि क्या सम्मेलन में यह मुद्दा आएगा तो उन्होंने कहा, ‘‘दक्षिण चीन सागर के मुद्दे का शिखर-सम्मेलन से कोई लेनादेना नहीं है.” उन्होंने कहा, ‘‘मुझे पता नहीं कि आपने यह सवाल क्यों पूछा। सभी जानते हैं कि जी20 शिखर-सम्मेलन में इस बात पर ध्यान दिया जाना है कि विश्व आर्थिक विकास में उर्जा और शक्ति कैसे फूंकनी है जो वैश्विक अर्थव्यवस्था के संचालन को प्राथमिकता देने और सुधार करने वाला एक मंच है.”
यह सम्मेलन चीन की कूटनीति के लिए चुनौती है जहां उसके शीर्ष राजनयिक दक्षिण चीन सागर :साउथ चाइना सी: के संदर्भ में ‘एस’ अक्षर से बच रहे हैं ताकि संयुक्त बयान में इसका उल्लेख नहीं हो. वहीं अधिकारी कह रहे हैं कि अधिक ध्यान चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत जी20 के प्रमुख नेताओं से द्विपक्षीय मुलाकातों पर रहेगा. एक भारतीय राजनयिक ने कहा कि तीन सितंबर को यहां पहुंच रहे मोदी करीब 48 घंटे तक शहर में रहेंगे.
सम्मेलन से इतर शी से मोदी की मुलाकात के बारे में चीजें तय की जा रहीं हैं.चीन के अधिकारियों का कहना है कि मोदी के अलावा शी की कई बडे नेताओं से द्विपक्षीय मुलाकातें होनी हैं जिनमें अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, जापानी प्रधानमंत्री शिंझो आबे और ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरीसा मे हैं.अधिकारियों के मुताबिक अधिकतर बैठकों के बारे में अभी चीजें तय की जा रहीं हैं.
मोदी और शी की मुलाकात कई बार हो चुकी है और उनके बीच दोस्ताना संपर्क है लेकिन इस बार मुलाकात ऐसे समय में होगी जब चीन-भारत संबंधों पर ‘पाकिस्तान फैक्टर’ भी हावी रहेगा.आतंकवाद, परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह से लेकर 46 अरब डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे :सीपीईसी: और बलूचिस्तान तक द्विपक्षीय संबंधों पर असर पडा है.दोनों पक्षों के अधिकारी स्वीकार करते हैं कि दोनों नेताओं के बीच स्वतंत्र और स्पष्ट बातचीत इन तनावों को दूर कर सकती है.शी और मोदी को अगले महीने गोवा में ब्रिक्स सम्मेलन में भी मुलाकात का अवसर मिलेगा.
एक अधिकारी ने कहा, ‘‘इस तरह वे अपनी बातचीत को अगली बैठक तक आगे बढा सकते हैं.” ओबामा के लिए एशिया का उनका यह अंतिम दौरा होगा क्योंकि राष्ट्रपति के रुप में उनका दूसरा कार्यकाल पूरा होने जा रहा है. लेकिन शी के साथ उनकी यह मुलाकात दक्षिण चीन सागर पर जुलाई में आये निर्णय और उस पर वाशिंगटन के रख की पृष्ठभूमि में हो रही है. अमेरिका ने कहा था कि फैसल कानून सम्मत है और इस पर अमल होना चाहिए.

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