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Thursday, March 28, 2024

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CAA: 14 दिन बाद अपनी दुधमुंही बच्ची के पास पहुंची महिला प्रदर्शनकारी

उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ हुए प्रदर्शन के दौरान गिरफ़्तार की गईं वाराणसी की सामाजिक कार्यकर्ता एकता शेखर को 14 दिन बाद ज़मानत पर रिहा कर दिया गया. एकता के अलावा वाराणसी के 36 लोगों को ज़मानत पर रिहा कर दिया गया है. हालांकि एकता के पति रवि शेखर की रिहाई अभी […]

उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ हुए प्रदर्शन के दौरान गिरफ़्तार की गईं वाराणसी की सामाजिक कार्यकर्ता एकता शेखर को 14 दिन बाद ज़मानत पर रिहा कर दिया गया.

एकता के अलावा वाराणसी के 36 लोगों को ज़मानत पर रिहा कर दिया गया है. हालांकि एकता के पति रवि शेखर की रिहाई अभी नहीं हो पाई है.

रिहाई के बाद अपनी चौदह माह की बेटी से जब वो मिलीं तो बक़ौल एकता, ‘बेटी ने आंख नहीं मिलाई और अब वो मुझे दो मिनट के लिए भी नहीं छोड़ रही है, ताकि ऐसा न हो कि मैं फिर चली जाऊं."

वाराणसी में महमूरगंज के रहने वाले रवि और एकता अपनी मासूम बच्ची को उसकी दादी और बड़ी मम्मी के हवाले करके प्रदर्शन में शामिल होने गए थे.

चालाना काटने के बाद भी नहीं छोड़ा गया

बीबीसी से बातचीत में एकता ने कहा कि उन्हें जब हिरासत में लिया गया था तब यही बताया गया कि धारा 144 के उल्लंघन में सीआरपीसी की धारा 151 के तहत चालान काटने के बाद छोड़ दिया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

वो कहती हैं, "मुझे और मेरी एक अन्य महिला साथी को वहां से पुलिस लाइन ले जाकर महिला पुलिस के हवाले कर दिया गया. पहले यही कहा गया कि कुछ ख़ास धारा नहीं लगी है इसलिए जल्दी ही छोड़ दिया जाएगा. लेकिन फिर वहीं से अगले दिन सीधे जेल भेज दिया गया. हम लोग पूछते रहे कि ऐसा कैसे कर सकते हैं लेकिन कोई बात नहीं सुनी गई."

एकता कहती हैं कि ऐसा शायद कभी नहीं हुआ होगा कि धारा 144 के उल्लंघन में किसी को चौदह दिन तक जेल में रखा गया हो.

उनके मुताबिक़, "पाँच दिन तक हमें हमारे परिवार वालों से नहीं मिलने दिया गया. एफ़आईआर की कॉपी तक नहीं दी गई. हमें ये तक नहीं पता था कि हम किस आरोप में जेल भेजे गए हैं. जब घरवालों ने वकीलों के माध्यम से संपर्क करना शुरू किया तब जाकर ज़मानत के मामले में सुनवाई हो पाई."

अपनी छोटी बच्ची का भी हवाला दिया

एकता शेखर और उनके पति रवि शेखर को 19 दिसंबर को नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ हुए आंदोलन में वाराणसी के बेनिया बाग़ के पास से गिरफ़्तार किया गया था.

उनके अलावा वाराणसी में क़रीब 70 लोगों की गिरफ़्तारी हुई जिनमें से बीएचयू के कुछ छात्रों को बाद में छोड़ दिया गया था जबकि 56 लोगों के ख़िलाफ़ विभिन्न धाराओं में एफ़आईआर दर्ज कराकर उन्हें जेल भेज दिया गया. चौदह दिनों तक जेल में रहने के बाद अब कुछेक लोगों को छोड़कर लगभग सभी को ज़मानत मिल गई है.

एकता शेखर और रवि शेखर भी प्रदर्शन में शामिल थे और उन्हें भी जेल भेज दिया गया था. एकता बताती हैं कि वो पुलिस वालों को बार-बार ये समझाती हैं कि उनकी छोटी बच्ची है लेकिन उनकी इन बातों का पुलिस वालों पर कोई असर नहीं पड़ा.

वो कहती हैं, "एक पुलिसकर्मी ने मुझे उसी दिन बताया कि आप लोगों के ऊपर कौन सी धाराएं लगेंगी, ये निर्देश ऊपर से आ रहे हैं. देखते-देखते ये बात सही साबित होने लगी. मेरे ख़िलाफ़ बाद में चार ग़ैर-ज़मानती धाराएं भी जोड़ दी गईं."

एकता कहती हैं कि एक्टिविस्ट के तौर पर प्रदर्शन में शामिल होना और जेल जाना उनके लिए गर्व की बात थी लेकिन छोटी सी बच्ची से दूर रहने का पछतावा भी है और कष्ट भी. पाँच दिनों तक तो उन्हें बच्ची के बारे में कोई ख़बर भी नहीं मिली. एकता को कोर्ट के आदेश पर गुरुवार सुबह ज़िला कारागार से रिहा कर दिया गया.

अपर ज़िला जज की कोर्ट ने बुधवार को तीन लोगों को छोड़कर सभी गिरफ़्तार लोगों की रिहाई का आदेश दिया है. बताया जा रहा है कि जिन तीन लोगों को अभी नहीं रिहा किया जाएगा, उनके ख़िलाफ़ कुछ संगीन धाराएं बाद में जोड़ी गई हैं. हालांकि इस बात की पुष्टि पुलिस अधिकारियों से नहीं हो पाई है.

पुलिस प्रशासन ने कार्रवाई को बताया सही

रवि शेखर और एकता समेत 56 नामज़द और कुछ अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ 332, 353, 341 जैसी धाराओं में मुक़दमे पंजीकृत किए गए हैं.

प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि उनके ख़िलाफ़ पुलिस ने अपने हिसाब से धाराएं आरोपित कीं और जब मन किया तो अन्य धाराएं जोड़ते चले गए. एकता समेत दूसरे गिरफ़्तार प्रदर्शनकारियों का भी कहना था कि उन्हें एफ़आईआर की कॉपी तक नहीं दिखाई गई.

हालांकि वाराणसी पुलिस का कहना है कि जो भी लोग गिरफ़्तार किए गए हैं, उनके ख़िलाफ़ हिंसा भड़काने के पर्याप्त साक्ष्य हैं.

वाराणसी के ज़िलाधिकारी कौशलराज शर्मा कहते हैं, "जिन्हें भी गिरफ़्तार किया गया है, उसके पर्याप्त आधार हैं. ग़ैर-क़ानूनी तरीक़े से लोगों के इकट्ठा होने की वजह से शहर में तनाव बढ़ गया था. तमाम तरह के भड़काऊ नारे लिखे हुए पोस्टर्स मिले हैं."

नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी लोगों ने बढ़-चढ़कर प्रदर्शन किया था. बेनिया बाग़ इलाक़े में हज़ारों की संख्या में लोग जब सड़क पर उतरे तो अचानक हालात बेक़ाबू होने लगे और पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा.

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक़, प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने दौड़ा-दौड़ा कर पीटा जिससे काफ़ी देर तक अफ़रा-तफ़री मची रही. बीएचयू के तमाम छात्रों समेत कई प्रदर्शनकारियों को हंगामे से पहले ही हिरासत में ले लिया गया था जिनमें रवि शेखर और एकता भी शामिल थे.

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