ओस्लो : दूरदर्शी और सुधारक बताये जाने वाले इथियोपिया के प्रधानमंत्री अबी अहमद को पड़ोसी देश इरिट्रिया के साथ लंबे समय से चले आ रहे टकराव को दूर करने के वास्ते उनके प्रयासों को लेकर शुक्रवार को शांति के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया.
नोबेल कमेटी ने कहा कि अबी को ‘शांति और अंतरराष्ट्रीय सहयोग’ हासिल करने की उनकी कोशिश और खासकर पड़ोसी इरिट्रिया के साथ सीमा संघर्ष के समाधान के लिए उनकी निर्णायक पहल को लेकर यह सम्मान दिया गया है. यह पुरस्कार अफ्रीका के सबसे कम उम्र के इस नेता के लिए उत्साहवर्धक कदम है.
हालांकि अभी उन्हें मई 2020 के संसदीय चुनाव से पहले अंतर-सामुदायिक हिंसा की चिंता भी है. अबी ने फोन कर नोबेल कमेटी से कहा- जैसे मैंने यह खबर सुनी, मैं बहुत रोमांचित हो गया, मैं आभारी हूं. यह बातचीत नोबेल पुरस्कार की वेबसाइट पर डाली गयी है.
अबी ने कहा- यह अफ्रीका, इथियोपिया को दिया गया पुरस्कार है. उन्होंने उम्मीद जतायी कि इससे अन्य अफ्रीकी नेताओं को इस बात की प्रेरणा मिलेगी कि ‘शांति स्थापित करने की प्रक्रिया पर काम करना संभव’ है.
अप्रैल 2018 में पदभार ग्रहण करने के बाद से 43 वर्षीय अबी उन नीतियों पर सक्रिय हो गए जिनमें होर्न ऑफ अफ्रीका (उत्तरपूर्व अफ्रीका प्रायद्वीप) के इस देश में सालों से घरेलू अशांति के बाद समाज में बहुत बड़ा बदलाव लाने और उसकी सीमा से परे चीजों को नया रूप देने की संभावना है.
इरिट्रिया की राजधानी अस्मारा में नौ जुलाई 2018 को ऐतिहासिक बैठक के बाद अबी और इरिट्रियाई राष्ट्रपति इसैआस अफवेरकी ने दोनों देशों के बीच 20 सालों के गतिरोध को औपचारिक रूप से समाप्त किया, जो 1998-2000 के सीमा संघर्ष से शुरू हुआ था.
अबी ने जेल से बागियों को रिहा किया, सरकार की नृशंसता के लिए माफी मांगी और निर्वासन में रह रहे सशस्त्र संगठनों का स्वागत किया. संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा कि उनके कदमों से हिंसा से प्रभावित अफ्रीका में आशा जगी है.
उन्होंने कहा, मैंने अक्सर कहा है कि उम्मीद की बयार अफ्रीका में बहुत तेजी से बह रही है. प्रधानमंत्री अबी अहमद मुख्य कारणों में एक कारण हैं.
नोबेल पुरस्कार जूरी ने बताया अबी को ‘शांति और अंतरराष्ट्रीय सहयोग प्राप्त करने के प्रयासों’ के लिए और विशेष रूप से पड़ोसी इरिट्रिया के साथ सीमा संघर्ष को सुलझाने की निर्णायक पहल के लिए इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.