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Thursday, March 28, 2024

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नीदरलैंड को रोक पाना आसान नहीं होगा

अभिषेक दुबे, वरिष्ठ खेल पत्रकार मेसी नायक से महानायक बनने की ओर मेसी, नेमार और पर्सी. अर्जेटीना, ब्राजील और नीदरलैंड. फीफा वर्ल्‍ड कप, 2014 में पूरी फिल्म अभी बाकी है, लेकिन इन तीन ट्रेलर से लोग रू-ब-रू हो चुके हैं. रविवार की रात मराकाना और मेसी की रात थी और इस रात के दो प्लॉट […]

अभिषेक दुबे, वरिष्ठ खेल पत्रकार

मेसी नायक से महानायक बनने की ओर

मेसी, नेमार और पर्सी. अर्जेटीना, ब्राजील और नीदरलैंड. फीफा वर्ल्‍ड कप, 2014 में पूरी फिल्म अभी बाकी है, लेकिन इन तीन ट्रेलर से लोग रू-ब-रू हो चुके हैं. रविवार की रात मराकाना और मेसी की रात थी और इस रात के दो प्लॉट रहे. अर्जेटीना ने वर्ल्‍ड कप, 2014 में अपना अभियान शुरू किया और महान मेसी ने वर्ल्‍ड कप में अपनी महानता की दस्तक दी.

वर्ल्‍ड कप, 2014 ने अब तक आक्रामक फुटबॉल देखा है और यह मेसी की बारी थी. मेसी के खेल का स्तर वह नहीं था, जो बार्सिलोना जर्सी में उनकी पहचान बन चुकी है, लेकिन विरोधी के लिए यह भी काफी था. मेसी ने पहले गोल के लिए जगह बनायी और दूसरा गोल खुद दागा. स्टेडियम में मौजूद 74,738 दर्शक मंत्रमुग्ध थे और विरोधी टीम को यह संदेश मिल चुका था कि माराडोना के बाद अर्जेटीना का यह सबसे महानतम फुटबॉल सपूत वर्ल्‍ड कप में अपना नाम सुनहरे अक्षरों में लिखवाने के लिए बेताब है. यह समझ से परे है कि वर्ल्‍ड कप के नौ मैचों में मेसी का ये सिर्फ दूसरा गोल था.

बार्सिलोना की जर्सी में कामयाबी को अर्जेटीना के स्ट्राइप में मेसी नहीं दोहरा पाये हैं, लेकिन मैच में हूटर बजने के 65 मिनट बाद हर किसी को अंदाजा लग गया कि वह क्यों खास है. जिस तरह से मेसी ने बेसिक और बैककिक को चित कर गेंद को पाले में डाला, वह किसी भी विरोधी को हथियार डालने के लिए मजबूर करने को काफी था. स्टेडियम में मौजूद सबसे ऊंचा कैमरा फुटबॉल के इस महानायक को सलामी दे रहा था, पहले मेसी तक उनके साथी खिलाड़ी अगुवारा पहुंचे और फिर मरीया. पूरा स्टेडियम चिल्ला रहा था, ओले ओला.. मेसी-मेसी.. ब्राजील 2014 शायद मेक्सिको 1986 की तरह मेसी में माराडोना को तलाश रहा है.

रविवार की रात ने अगर एक नायक को वर्ल्‍ड कप के महानायक की ओर कदम बढ़ाते देखा, तो इससे पहले ब्राजील में स्पेन का तिलिस्म ध्वस्त होते दिखा. स्पेन के टिकी-टाका स्टाइल ने उन्हें मौजूदा दौर का चैंपियन बनाया और नीदरलैंड के खिलाफ उनका पहला मुकाबला इसकी एक और कड़ी थी. लेकिन 1-5 से मिली पहली हार ने ही उन्हें यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या उनकी बादशाहत कभी लौट पायेगी. कॅन्फेडरेशन कप में ब्राजील के हाथों मिली हार ने यह एहसास दिला दिया था कि स्पेन की टीम संघर्ष के दौर में है, लेकिन नीदरलैंड ने उन्हें जिस तरह से रौंदा, इससे हर किसी को अंदाजा लग चुका है कि पिछली बार की चैंपियन टीम में अब वह बात नहीं. स्पेन टीम के प्रबंधक डेल बॉस्कुए को अंदाजा था कि टीम को युवा पहचान देकर ही आगे बढ़ा जा सकता है, लेकिन तमाम बदलाव के बाद ले देकर उन्हें अपने पुराने सूरमाओं पर ही भरोसा करना पड़ा. पहले मैच में कम से कम सात खिलाड़ी ऐसे थे, जिन्होंने दक्षिण अफ्रीका में चार साल पहले उन्हें जीत दिलायी थी, लेकिन तभी के खिलाड़ी उम्र और फिटनेस में चार साल पुराने हो चुके हैं.

रोबेन वान पर्सी और अरजेन रोबेन के ऑरेंज आक्रमण का स्पेन की टीम के पास कोई जवाब नहीं था. मैच में अपनी टीम के प्रदर्शन को देखते हुए वान गॉल ने एलान कर दिया कि यहां से नीदरलैंड को रोक पाना आसान नहीं होगा.

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