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राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई चाहता है तमिलनाडु

तमिलनाडु की ई पलनीसामी सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या में दोषी ठहराए गए सात लोगों को रिहा कराने के लिए प्रस्ताव पास किया है. राज्य की कैबिनेट इस दोषियों को रिहा करने की सिफ़ारिश राज्यपाल के पास भेजेगी. ये सातों दोषी पिछले 27 सालों से जेल में बंद हैं. 2014 में प्रदेश […]

तमिलनाडु की ई पलनीसामी सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या में दोषी ठहराए गए सात लोगों को रिहा कराने के लिए प्रस्ताव पास किया है.

राज्य की कैबिनेट इस दोषियों को रिहा करने की सिफ़ारिश राज्यपाल के पास भेजेगी. ये सातों दोषी पिछले 27 सालों से जेल में बंद हैं.

2014 में प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता ने इनकी रिहाई का फ़ैसला किया था पर केंद्र सरकार ने इसे ख़ारिज कर दिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने सातों दोषियों की रिहाई पर राज्यपाल को फ़ैसला लेने के लिए कहा था. राज्य सरकार का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के आधार पर ही प्रस्ताव पास किया गया है.

राजीव गांधी की हत्या धानु नाम की एक आत्माघाती महिला हमलावर ने की थी. वो महिला एलटीटीई की सदस्य थी. एलटीटीई सशस्त्र विद्रोही समूह था जो श्रीलंका में तमिलों के लिए एक अलग देश की मांग कर रहा था.

तमिलनाडु के मतस्य पालन मंत्री डी जयकुमार ने कैबिनेट की बैठक के बाद कहा, ‘हमलोग ने फ़ैसला किया है कि सातों दोषियों की रिहाई के लिए राज्यपाल के पास सिफ़ारिश भेजेंगे. यह सिफ़ारिश संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत भेजी जाएगी. राज्यपाल इसे स्वीकार करेंगे क्योंकि उनके पास कोई विक्लप नहीं होगा.’

वो धमाका जिसने राजीव गांधी को मार डाला

शुरुआत में राजीव गांधी की हत्या में 26 लोगों को फांसी की सज़ा मिली थी. बाद में कइयों की मौत की सज़ा आजीवन क़ैद में तब्दील हो गई थी. इस मामले में राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी और बेटे राहुल गांधी ने भी मौत की सज़ा को आजीवन क़ैद में तब्दील करने में मदद की थी.

21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरुम्बुदुर में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की एक चुनावी रैली के दौरान आत्मघाती हमलावरों ने हत्या कर दी थी.

ये हत्यारे श्रीलंका से आए थे. तभी से इंसाफ़ का पहिया आहिस्ता-आहिस्ता घूमता रहा है. इस मामले में जिन्हें सज़ा सुनाई गई, वे 27 साल से सलाखों की पीछे हैं.

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