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विजय माल्या मामला : जज ने स्वीकार किये सीबीआर्इ के सबूत, अगली सुनवाई 11 जुलाई को

लंदन : ब्रिटेन की एक अदालत ने विवादित शराब कारोबारी विजय माल्या के प्रत्यर्पण से जुड़े मुकदमे में भारतीय अधिकारियों की ओर से सौंपे गये बहुत सारे साक्ष्यों को शुक्रवार को स्वीकार कर लिया. इस मामले में अगली सुनवाई अब 11 जुलाई को होगी. माल्या (62) करीब 9,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी और मनी लाॅन्ड्रिंग […]

लंदन : ब्रिटेन की एक अदालत ने विवादित शराब कारोबारी विजय माल्या के प्रत्यर्पण से जुड़े मुकदमे में भारतीय अधिकारियों की ओर से सौंपे गये बहुत सारे साक्ष्यों को शुक्रवार को स्वीकार कर लिया. इस मामले में अगली सुनवाई अब 11 जुलाई को होगी. माल्या (62) करीब 9,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी और मनी लाॅन्ड्रिंग मामले में भारत में वांछित हैं. पिछले साल अप्रैल में स्कॉटलैंड यार्ड की ओर से प्रत्यर्पण वॉरंट पर अपनी गिरफ्तारी के बाद से वह 650,000 पाउंड की जमानत पर हैं.

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शुक्रवार को उनकी जमानत अवधि अगली सुनवाई की तारीख 11 जुलाई तक के लिए बढ़ा दी गयी. अदालत जब अगली सुनवाई करेगी तो वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट अदालत की न्यायाधीश एम्मा अर्बथनॉट के समक्ष मौखिक दलीलें दी जायेंगी. इसके बाद न्यायाधीश अगली सुनवाई में मामले पर फैसले की अपनी योजना के संकेत दे सकती हैं. इससे पहले, माल्या सुनवाई के सिलसिले में अदालत आये थे, जिस दौरान सीबीआई को उस वक्त बड़ी कामयाबी मिली जब न्यायाधीश ने पुष्टि की कि भारतीय अधिकारियों की ओर से सौंपे गए बहुत सारे साक्ष्य स्वीकार किये जायेंगे.

माल्या ने स्थानीय वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत के बाहर पत्रकारों को बताया कि अदालत में एक और दिन. शुक्रवार की सुनवाई ऐसे समय में हुई, जब प्रत्यर्पण पर वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट अदालत के एक पिछले फैसले के खिलाफ भारत सरकार की ओर से हार्इकोर्ट में की गयी अपील नकार दी गयी थी. साल 2000 में दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान हैंसी क्रोन्ये से जुड़े मैच फिक्सिंग मामले में अहम आरोपी और भारत में वांछित संजीव कुमार चावला को दिल्ली के तिहाड़ जेल की गंभीर स्थितियों के मुद्दे पर मानवाधिकारों के आधार पर पिछले साल अक्टूबर में आरोपमुक्त कर दिया गया था. चावला को प्रत्यर्पित किये जाने पर तिहाड़ जेल में ही रखने की तैयारी थी.

जिला न्यायाधीश रेबेका क्रेन ने चावला को आरोपमुक्त करने के अपने फैसले के लिए यूरोपीय परिषद की यातना रोकथाम समिति (सीपीटी) के निर्वाचित सदस्य और स्कॉटिश कारागार सेवा में स्वास्थ्य देखभाल मामलों के पूर्व प्रमुख डॉ एलेन मिशेल की गवाही को आधार बनाया था. माल्या की बचाव टीम ने उन्हीं जेल विशेषज्ञों से गवाही दिलवाई, जिन्होंने न्यायाधीश अर्बर्थनॉट को मुकदमे की सुनवाई के दौरान कहा कि सभी भारतीय जेलों की दशा असंतोषजनक है.

माल्या मामले की सुनवार्इ पिछले साल चार दिसंबर को लंदन की अदालत में शुरू हुई थी, जिसका मकसद माल्या के खिलाफ धोखाधड़ी के मामले को प्रथम दृष्टया स्थापित करना है. माल्या मार्च, 2016 में भारत छोड़कर जाने के बाद ब्रिटेन में रह रहे हैं. माल्या की बचाव टीम ने दावा किया था कि उनकी कोई गलत मंशा नहीं है और भारत में उन पर निष्पक्ष तरीके से मुकदमा चलाने की संभावना नहीं है. यदि न्यायाधीश भारत सरकार के पक्ष में फैसला देती हैं, तो ब्रिटेन के विदेश मंत्री के पास माल्या के प्रत्यर्पण आदेश पर दस्तखत के लिए दो महीने का वक्त होगा. बहरहाल, दोनों पक्षों के पास मजिस्ट्रेट की अदालत के फैसले के खिलाफ ब्रिटेन की ऊंची अदालतों में अपील करने का हक होगा.

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