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ग्राउंड रिपोर्ट उन्नाव: शिकायत और ग़ुस्सा इधर भी है और उधर भी

उन्नाव के ज़िलाधिकारी कार्यालय के बाहर मंगलवार शाम काफी हलचल थी. विधायक और उनके साथियों पर रेप का आरोप लगाने वाली लड़की और उसके परिजन न्याय की आस लेकर सुबह से ही यहां डटे हुए थे. सुबह ही लड़की के पिता का अंतिम संस्कार हुआ था. परिवार के कुछ लोग ज़िलाधिकारी से मिलकर जब बाहर […]

उन्नाव के ज़िलाधिकारी कार्यालय के बाहर मंगलवार शाम काफी हलचल थी. विधायक और उनके साथियों पर रेप का आरोप लगाने वाली लड़की और उसके परिजन न्याय की आस लेकर सुबह से ही यहां डटे हुए थे. सुबह ही लड़की के पिता का अंतिम संस्कार हुआ था.

परिवार के कुछ लोग ज़िलाधिकारी से मिलकर जब बाहर लौटे तो उनका सारा ग़ुस्सा बांगरमऊ से बीजेपी के विधायक कुलदीप सेंगर पर उतर रहा था. एक महिला बताने लगी, "बड़ी बेरहमी से पीटा गया था. शरीर पर कई जगह चोटों के निशान थे. विधायक के दबाव में पहले तो मेडिकल तक नहीं हुआ फिर जेल के अंदर भी मारा गया. सब मैनेज कर लिया गया."

पीड़ित लड़की के पिता की एक दिन पहले ही पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी. आरोप है कि उनके और परिवार के दूसरे सदस्यों के साथ मार-पीट की गई थी. मारपीट का आरोप विधायक के भाई और उनके साथियों पर है और मारपीट की वजह ये बताई जा रही है कि पिछले साल रेप के मामले में जब पीड़ित लड़की की एफ़आईआर पुलिस ने नहीं लिखी तो परिवार वालों ने कोर्ट का सहारा लिया और अब विधायक के परिजन उस केस को वापस लेने का दबाव बना रहे हैं.

उन्नाव के ज़िलाधिकारी रविकुमार एनजी बताते हैं कि एक साल पहले वाली एफ़आईआर पर कोर्ट 12 अप्रैल को सुनवाई करेगी लेकिन मार-पीट वाली एफ़आईआर में जो ख़ामियां थीं, उन्हें दूर कर लिया गया है, "पुलिस वालों को उनकी ग़लती के कारण ही सस्पेंड किया गया है. मार-पीट में उन्हें दोनों पक्षों की ओर से रिपोर्ट लिखनी चाहिए थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ, इसकी जांच की जाएगी. बहरहाल, पीड़ित परिवार जिन और लोगों के नाम उसमें डलवाना चाहता था वो डाल दिया गया है और अतुल सेंगर समेत पांच लोग गिरफ़्तार भी हो गए हैं."

विधायक का भाई हिरासत में

अतुल सेंगर विधायक कुलदीप सेंगर के भाई हैं और मंगलवार को उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. ज़िलाधिकारी से मिलकर पीड़ित लड़की जब बाहर आई तो एक दिन पहले हुई पिता की मौत और साल भर पहले ख़ुद के साथ हुई कथित रेप की घटना को याद करके रो पड़ी.

दरअसल, विधायक कुलदीप सिंह और पीड़ित परिवार एक ही गांव के हैं. उन्नाव ज़िले से क़रीब दस-बारह किमी. दूर है माखी गांव. इसी गांव में सड़क के एक ओर विधायक का आलीशान मकान है जिसमें कई बड़े मंदिर और एक बड़ा सा इंटर कॉलेज भी है, तो दूसरी ओर ईंट का बना हुआ दो कमरे का छोटा सा घर पीड़ित परिवार का है.

मंगलवार की शाम जब हम वहां पहुंचे तो ताला बंद था. आस-पास भी सन्नाटा पसरा हुआ था और लोग घरों के भीतर ही थे. चारों ओर सिर्फ़ पुलिस वाले ही दिख रहे थे. एक पुलिसकर्मी बताने लगा, ‘सुबह से अब तक गांव में दस लोग भी सड़क पर जाते हुए नहीं दिखे, लोग डर रहे हैं कि कोई कुछ पूछ न ले. आख़िर कौन मुसीबत मोल ले?’ दबी ज़ुबान से एक सज्जन सिर्फ़ इतना बोले, "विधायक के ख़िलाफ़ जब इतने बड़े अधिकारी नहीं बोल पा रहे हैं तो गांव वाले क्या बोलेंगे?"

गांव वाले क्या बोलेंगे?

विधायक कुलदीप सिंह काफ़ी रसूख वाले व्यक्ति बताए जाते हैं. चार बार से लगातार विधान सभा चुनाव जीत रहे हैं, वो भी अलग-अलग पार्टियों और अलग-अलग सीटों से. स्थानीय लोग बताते हैं कि कांग्रेस पार्टी से राजनीतिक यात्रा शुरू करने वाले कुलदीप सिंह पहली बार बहुजन समाज पार्टी से 2002 में विधायक बने. उसके बाद दो बार समाजवादी पार्टी से विधायक रहे और 2017 में ऐन चुनाव से पहले उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया.

विधायक कुलदीप सिंह के घर के भीतर दाख़िल होने पर क़रीब दर्जन भर लोग टीवी पर न्यूज़ देख रहे थे. सबकी एक ही पीड़ा थी कि उनके पक्ष को नज़रअंदाज़ किया जा रहा है और पीड़ित पक्ष के प्रति ज़रूरत से ज़्यादा हमदर्दी दिखाई जा रही है.

वहां मौजूद हिमांशु त्रिवेदी कहने लगे, "ये कोई जानने की कोशिश नहीं कर रहा है कि पप्पू सिंह और उनके तीन भाइयों के ख़िलाफ़ कितने मामले दर्ज हैं? मीडिया ट्रायल के दबाव में आकर पुलिस और प्रशासन हम लोगों को परेशान कर रहा है."

वहां मौजूद कई लोगों का ये भी कहना था कि पिछले साल जब लड़की के अपहरण की रिपोर्ट लिखाई गई थी तब उसका अपहरण नहीं हुआ था बल्कि वो स्वेच्छा से गई थी. वहीं सलिल सिंह का आरोप है, "इन लोगों की कुछ बातें न मानने के कारण विधायक को टारगेट किया जा रहा है. कुलदीप सिंह पर आज तक एक भी केस नहीं दर्ज है और न ही किसी आपराधिक कार्य में कभी लिप्त रहे हैं."

माखी थाने के थानाध्यक्ष को सोमवार को निलंबित कर दिया गया था. मंगलवार को तुरंत चार्ज सँभालने वाले थानाध्यक्ष राकेश सिंह ने बताया कि पीड़ित लड़की के मृत पिता के ख़िलाफ़ 29 केस और उसके चाचा के ख़िलाफ़ 14 मामले दर्ज हैं. वहीं विधायक के भाई अतुल सिंहं के ख़िलाफ़ भी 3 केस दर्ज हैं. उनके मुताबिक विधायक कुलदीप सिंह के ख़िलाफ़ कोई केस दर्ज नहीं है.

आरोप-प्रत्यारोप

हालांकि स्थानीय लोग विधायक और उनके भाई की आपराधिक और दबंग छवि से इनकार नहीं करते हैं. उन्नाव रेप केस में रेप पीड़ित लड़की के पिता की जेल में संदिग्ध मौत मामले के मामले में विपक्ष जहां योगी सरकार पर हमलावर है, वहीं, सरकार मामले में निष्पक्ष कार्रवाई का दावा कर रही है.

खुद सीएम योगी आदित्यनाथ कह चुके हैं कि किसी भी दोषी को बख़्शा नहीं जाएगा. सीएम योगी ने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए एडीजी लखनऊ से मामले की गहनता से जांच के आदेश दिए और कहा कि जो भी दोषी हैं, वे चाहे जो भी हों, उन्हें बख़्शा नहीं जाएगा.

विधायक कुलदीप सेंगर और उनके साथियों पर रेप का आरोप लगाने वाली लड़की का कहना था कि न्याय के लिए वह उन्नाव पुलिस के हर अधिकारी के पास गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. पीड़ित लड़की के परिवार वालों का आरोप है कि विधायक कुलदीप सिंह और उनके साथी पुलिस में शिकायत नहीं करने का दबाव बनाता रहे. तीन अप्रैल को भी यही दबाव बनाने के लिए उसके पिता से विधायक के भाई ने मारपीट की.

आत्मदाह की कोशिश

यही नहीं, पुलिस ने विरोध करने पर पीड़ित के पिता के खिलाफ कथित तौर पर एक फर्ज़ी मुकदमा लिख दिया गया. पुलिस की इसी निष्क्रियता और विधायक की कथित दबंगई से त्रस्त होकर पीड़ित लड़की ने सीएम आवास के बाहर मिट्टी का तेल डालकर आत्मदाह करने का प्रयास किया.

पीड़ित लड़की के एक रिश्तेदार बताते हैं कि जिस विधायक के परिवार से आज इतनी दुश्मनी है, कभी वो लोग साथ-साथ थे. लेकिन कतिपय कारणों से दोनों परिवार अलग हो गए और अब एक-दूसरे से दो-दो हाथ करने को तैयार हैं.

लड़की के परिवार वाले घर छोड़कर न्याय की भीख मांग रहे हैं और पुलिस वाले उनके घर की रखवाली कर रहे हैं. सन्नाटा चारों तरफ़ पसरा हुआ है, विधायक के घर पर भी और गांव में भी. सब को इसी बात का इंतज़ार है कि क्या सच्चाई वास्तव में सामने आ पाएगी और क्या दोषियों को सज़ा मिल पाएगी.

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