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”भारत आैर चीन एक-दूसरे के दुश्मन आैर मित्र, असहमतियों के बावजूद साथ मिल करते हैं काम”

वाशिंगटन : संयुक्त राष्ट्र में भारत के शीर्ष राजनयिक ने कहा कि भारत और चीन ‘मित्र-शत्रु’ (फ्रेनिमीज) हैं. वे असहमतियों के बावजूद साथ मिलकर काम कर रहे हैं और दुनिया उनके संबंधों से सीख सकती है. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरूद्दीन ने मंगलवार को यहां कहा कि हॉलीवुड में एक शब्द […]

वाशिंगटन : संयुक्त राष्ट्र में भारत के शीर्ष राजनयिक ने कहा कि भारत और चीन ‘मित्र-शत्रु’ (फ्रेनिमीज) हैं. वे असहमतियों के बावजूद साथ मिलकर काम कर रहे हैं और दुनिया उनके संबंधों से सीख सकती है. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरूद्दीन ने मंगलवार को यहां कहा कि हॉलीवुड में एक शब्द का इस्तेमाल किया जाता है, जो काफी लोकप्रिय हो चुका है. मेरा मानना है कि उसे‘ फ्रेनिमीज’ (मित्र-शत्रु) कहा जाता है. चीन के साथ हमारा वैसा ही संबंध है. हम उनसे संवाद करते हैं. हम उनसे प्रतिस्पर्धा करते हैं. कुछ क्षेत्रों में हम उनके साथ मिलकर काम करते हैं और कुछ क्षेत्रों में हम असहमत होने के लिए सहमत होते हैं और आगे बढ़ते हैं.

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जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में अंबेसडर हॉवर्ड शाफर स्मृति व्याख्यान देने के बाद एक सवाल पर वरिष्ठ भारतीय राजनयिक ने कहा कि भारत ने एशियाई आधारभूत ढांचा निवेश बैंक (एआर्इआर्इबी) जैसी विकास पहल पर चीन के साथ मिलकर काम किया है, जबकि उसकी बेल्ट एंड रोड पहल का विरोध किया है. उन्होंने जॉर्जटाउन इंडिया इनिशियेटिव द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि मेरे लिए बेल्ट एंड रोड पहल सामान्य बहुपक्षीय पहल नहीं है. हम उसका हिस्सा नहीं हैं.

भारत ने पिछले साल अपनी संप्रभुता को लेकर चिंता की वजह से चीन की बेल्ट एंड रोड पहल में हिस्सा नहीं लिया था. वन बेल्ट वन रोड चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की महत्वाकांक्षी परियोजना है. इसका लक्ष्य एशियाई देशों, अफ्रीका, चीन और यूरोप के बीच सहयोग और संपर्क में सुधार करना है. भारत-पाकिस्तान संबंध और संयुक्त राष्ट्र के मंच पर इस्लामाबाद के कश्मीर मुद्दे को उठाने और जनमत संग्रह की मांग करने के बारे में उनकी राय पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को इस पर अंदरूनी समर्थन नहीं हासिल है.

उन्होंने कहा कि जिस तरह से आपने भारत और पाकिस्तान के मुद्दों को पेश किया है वह मेरे हिसाब से कल की समस्या है. इसका मतलब यह नहीं है कि हमें उनका समाधान करने की आवश्यकता नहीं है. अकबरूद्दीन ने कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि वे गंभीर प्रकृति के नहीं हैं, लेकिन अब से 20 या 25 साल बाद जब हम खुद को देखते हैं, तो हम ऐसी प्रकृति के मुद्दों के रूप में नहीं देखते हैं जो बुनियादी रूप में हमें अस्थिर करेंगे. उन्होंने कहा कि पिछले एक साल में संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर मुद्दा उठाने में एक भी देश पाकिस्तान के साथ नहीं आया.

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के 13 बार बोलने के अलावा किसी अन्य देश ने इस पर नहीं बोला. इसलिए क्या यह आज का मुद्दा है. यह साफ है कि दूसरे इस बारे में चिंतित नहीं है. दुनिया के पास ध्यान देने के लिए ढेर सारे मुद्दे हैं. भारत और पाकिस्तान को इन मुद्दों का पड़ोसी के तौर पर समाधान करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि चीन और भारत ‘मित्र-शत्रु’ हैं और दूसरे देश इन दोनों देशों के बीच संबंधों से सीख सकते हैं.

उन्होंने कहा कि हमारे संबंधों से दूसरे देश जो सबक ले सकते हैं, वह है कि दुनिया में सबसे लंबी बिना सीमांकन वाली सीमा होने के बावजूद पिछले 40 वर्षों में सीमा पर कोई हताहत नहीं हुआ है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विस्तार पर भारत के रुख को दोहराते हुए उन्होंने कहा कि मौजूदा ढांचा मौजूदा परिदृश्य का प्रतिनिधित्व नहीं करता है.

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