पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता से सटे उत्तर 24-परगना ज़िले के बादुड़िया इलाके में एक 'आपत्तिजनक' फ़ेसबुक पोस्ट पर दो समुदायों के बीच हिंसा भड़कने के बाद अब इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर देखने को मिला है.
ममता ने जहां राज्यपाल पर फोन पर धमकी देने और अपमानित करने का आरोप लगाया है, वहीं राज्यपाल ने इन आरोपों का खंडन किया है.
फ़ेसबुक पर एक 'आपत्तिजनक' पोस्ट के मुद्दे पर उस इलाके में सोमवार शाम को दो संप्रदायों के बीच हिंसा शुरू हुई थी.
इसमें कुछ दुकानें लूट ली गई और एकाध जगह आगजनी की भी घटनाएं हुईं. इस सिलसिले में उक्त पोस्ट करने वाले 11वीं के छात्र को गिरफ़्तार कर लिया गया है. मुख्यमंत्री ने भी इसकी पुष्टि की है.
'पद से इस्तीफ़ा देने की सोच रही थी'
इसके बाद मंगलवार को उत्तेजित भीड़ ने मौके पर पहुंचे पुलिसवालों के वाहनों में तोड़फोड़ की और पथराव किया. इसमें पुलिस अधीक्षक समेत कुछ पुलिसवाले घायल हो गए.
इस हिंसा के मुद्दे पर भाजपा के एक प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को राजभवन जाकर राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी से मुलाकात की थी. उसके बाद ही राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को फ़ोन किया था.
राज्यपाल के फ़ोन के बाद ममता का ग़ुस्सा भड़क उठा. उन्होंने राज्य सचिवालय में जल्दबाज़ी में बुलाई गई एक प्रेस कांफ्रेंस में राज्यपाल पर आरोपों की बौछार करते हुए धमकी देने और भाजपा नेता की तरह व्यवहार करने का आरोप लगाया.
उन्होंने कहा, "राज्यपाल की भाषा से मैं ख़ुद को बेहद अपमानित महसूस कर रही हूं. मैंने उनसे भी कह दिया कि आप मुझसे इस लहज़े में बात नहीं कर सकते."
मुख्यमंत्री ने कहा कि 'वे राज्यपाल की बातों से इतनी आहत और अपमानित महसूस कर रही हैं कि उन्होंने अपने पद से इस्तीफ़ा देने की बात भी सोची थी.' उन्होंने कहा कि वे किसी राजनीतिक पार्टी या राज्यपाल की 'दया' से नहीं बल्कि आम लोगों के समर्थन से मुख्यमंत्री बनी हैं.
ममता ने कहा, "मैं कम उम्र से ही राजनीति कर रही हूं. लेकिन अपने लंबे राजनीतिक करियर में पहले मुझे कभी इस कदर अपमानित नहीं होना पड़ा था."
मुख्यमंत्री ने कहा कि अब वे हालात को ध्यान में रखते हुए कुछ 'कड़े फ़ैसले' लेंगी. उन्होंने कहा कि यह एक गंभीर मामला है और वे इससे गंभीरता से ही निपटेंगी.
ममता बनर्जी ने कहा कि फ़ेसबुक की एक 'आपत्तिजनक' पोस्ट की वजह से सोमवार को इलाके में हिंसा फैली थी. लेकिन अगर पुलिस वहां फ़ायरिंग करती तो सैकड़ों लोग मारे जा सकते थे.
उन्होंने भाजपा, विश्व हिंदू परिषद और उससे जुड़े संगठनों पर राज्य में विभिन्न इलाकों में दंगा फैलाने का प्रयास करने का भी आरोप लगाया.

मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे लोग यहां सोशल मीडिया के सहारे अक्सर दुष्प्रचार का सहारा लेकर दो समुदायों के बीच हिंसा भड़काने का प्रयास करते रहे हैं.
ममता के आरोपों के लगभग दो घंटे बाद राजभवन की ओर से जारी एक बयान में राज्यपाल ने तमाम आरोपों का खंडन किया.
राज्यपाल का खंडन
उन्होंने मुख्यमंत्री के आरोपों पर आश्चर्य जताते हुए कहा, "मुख्यमंत्री व राज्यपाल के बीच की बातचीत गोपनीय होती है. मैंने मुख्यमंत्री से कोई अपमानजनक बात नहीं की."
बयान में कहा गया है कि राज्यपाल व मुख्यमंत्री के बीच शांति और कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर बातचीत हुई. इसमें धमकी जैसी कोई बात नहीं थी. राज्यपाल ने कहा कि वे राज्य से जुड़े मुद्दों पर 'चुप्पी' नहीं साधे रह सकते.
दूसरी ओर, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने बताया कि पार्टी के नेताओं ने राज्यपाल से मुलाकात के दौरान उनको इलाके में हिंसा के चलते उपजे हालात से अवगत कराया था.
उनके अनुसार, 'इसी पर राज्यपाल ने मुख्यमंत्री से फ़ोन पर हालात की जानकारी लेनी चाही थी. घोष का सवाल है कि क्या संवैधानिक मुखिया होने के नाते राज्यपाल यह नहीं पूछ सकते कि राज्य में आख़िर बार-बार सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं क्यों हो रही हैं?'
घोष ने सवाल किया कि 'इसमें धमकी या अपमान जैसी कौन-सी बात है?'
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