तीन देशों की यात्रा के बाद स्वदेश लौटे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि मैंने अपनी छह दिवसीय विदेश यात्रा के दौरान हर पल का इस्तेमाल देश की भलाई के लिए किया. इससे पहले, भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने प्रधानमंत्री का गर्मजोशी से स्वागत किया. पालम हवाई अड्डे के बाहर अपने स्वागत के लिए एकत्र हुए लोगों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि सिडनी में भारतीय समुदाय के कार्यक्रम के दौरान न केवल ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज और देश की सत्तारूढ़ पार्टी के पदाधिकारी बल्कि एक पूर्व प्रधानमंत्री और विपक्षी सदस्य भी मौजूद थे.
खालिस्तान की गतिविधियों पर जतायी चिंता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष एंथनी अल्बनीज के साथ वार्ता में ऑस्ट्रेलिया में मंदिरों पर हमलों की घटनाओं और खालिस्तान समर्थकों की गतिविधियों को लेकर भारत की चिंताओं से उन्हें अवगत कराया. दोनों पक्षों ने इस वर्ष के अंत तक एक समग्र व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने का लक्ष्य भी तय किया. मोदी और अल्बनीज के बीच व्यापक वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने छात्रों, अकादमिक शोधकर्ताओं और व्यापारियों के लिए अवसरों को खोलने और अवैध प्रवासन को रोकने के लिए प्रवासन एवं गतिशीलता साझेदारी समझौते पर भी हस्ताक्षर किए.
सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की दावेदारी का समर्थन
दोनों नेता ऑस्ट्रेलिया-भारत हरित हाइड्रोजन कार्यबल के संदर्भ की शर्तों पर हस्ताक्षर किए जाने के गवाह भी बने. इससे स्वच्छ हाइड्रोजन के निर्माण और इसके उपयोग में तेजी लाने के अवसरों का पता लगाने में मदद मिलेगी. ऑस्ट्रेलिया ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट के लिए भारत की दावेदारी का भी समर्थन किया. प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्व के नेता जानते हैं कि वह जो कहते हैं वह भारत के 140 करोड़ लोगों की आवाज है. उन्होंने कहा कि भारत के सामने अपनी जड़ें मजबूत करने की चुनौतियां हैं. साथ ही भारत नयी ऊंचाई पर पहुंचने की दिशा में भी काम कर रहा है जैसा कि दुनिया उससे उम्मीद करती है. उन्होंने कहा, चुनौतियां बड़ी हैं. लेकिन चुनौतियों को चुनौती देना मेरे स्वभाव में है. उन्होंने उत्साहित भीड़ के सामने विश्वास जताया कि उनकी सरकार समय रहते इन उम्मीदों को पूरा करने में सफल होगी. उन्होंने कहा कि देश से वैश्विक उम्मीदें बढ़ रही हैं.
कोविड का टीका भेजने पर मिला सम्मान
मोदी ने यात्रा के दौरान प्रशांत द्वीपीय देशों के लोगों द्वारा दिए गए सम्मान के बारे में बात की और कहा कि महामारी के दौरान उन्हें भेजे गए कोविड-19 टीकों के लिए इन देशों ने भारत के प्रति आभार भी जताया. विदेशों में टीके भेजने के सरकार के फैसले की आलोचना करने वालों पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘याद रखिए, यह बुद्ध की भूमि है, यह गांधी की भूमि है. हम अपने दुश्मनों की भी परवाह करते हैं, हम करुणा से प्रेरित लोग हैं. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि दुनिया भारत की कहानी सुनने को इच्छुक है. उन्होंने कहा कि भारतीयों को अपनी महान संस्कृति और परंपराओं के बारे में बोलते समय कभी भी ‘‘गुलाम मानसिकता’’ से पीड़ित नहीं होना चाहिए और इसके बजाय साहस के साथ बोलना चाहिए.
जी-7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने जापान गये थे पीएम मोदी
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश भर में आयोजित 150 से अधिक बैठकों में जी-20 प्रतिनिधियों के भारत में हुए स्वागत ने दुनिया को बहुत प्रभावित किया है.उन्होंने कहा, मैंने जिन नेताओं और अन्य लोगों से मुलाकात की, वे भारत द्वारा जी-20 की अध्यक्षता इतनी शानदार तरीके से किए जाने को लेकर बहुत मंत्रमुग्ध थे और सभी ने इसकी सराहना की है। यह सभी भारतीयों के लिए बहुत गर्व की बात है. गौरतलब है कि मोदी जी-7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए जापान के हिरोशिमा गये थे. इसके बाद उन्होंने पापुआ न्यू गिनी की यात्रा की, जो किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री के लिए प्रशांत द्वीप देश का पहला दौरा था, उसके बाद पीएम मोदी ने अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष के निमंत्रण पर सिडनी की यात्रा भी की.