मनमोहन सिंह का मोदी सरकार पर बड़ा हमला, बोले- नोटबंदी की वजह से देश में बेरोजगारी चरम पर

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने केंद्र की मोदी सरकार पर जोरदार हमला किया है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 में भाजपा नीत सरकार की ओर से बिना सोचे-समझे ही नोटबंदी के फैसले से देश में बेरोजगारी अपने चरम पर है और अनौपचारिक क्षेत्र की हालत खस्ता है. उन्होंने राज्यों से नियमित रूप से परामर्श नहीं करने को लेकर केंद्र की मोदी सरकार की आलोचना की.

By Prabhat Khabar Print Desk | March 3, 2021 9:07 AM
  • सरकार के कमजोर उपाय के चलते ऋण संकट से छोटे और मझोले क्षेत्र प्रभावित

  • नोटबंदी से बेरोजगारी चरम पर है और अनौपचारिक क्षेत्र की हालत नाजुक

  • बिना सोचे-समझे 2016 में नोटबंदी के फैसले पैदा हुआ आर्थिक संकट

नई दिल्ली : पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने केंद्र की मोदी सरकार पर जोरदार हमला किया है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 में भाजपा नीत सरकार की ओर से बिना सोचे-समझे ही नोटबंदी के फैसले से देश में बेरोजगारी अपने चरम पर है और अनौपचारिक क्षेत्र की हालत खस्ता है. उन्होंने राज्यों से नियमित रूप से परामर्श नहीं करने को लेकर केंद्र की मोदी सरकार की आलोचना की.

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आर्थिक विषयों के थिंक टैंक राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज की ओर से आयोजित एक विकास सम्मेलन का उद्घाटन भी किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि बढ़ते वित्तीय संकट को छिपाने के लिए भारत सरकार और रिजर्व की ओर से किए गए अस्थायी उपाय के चलते पैदा हुए ऋण संकट से छोटे और मझोले क्षेत्र प्रभावित हो सकते हैं और इस स्थिति की हम अनदेखी नहीं कर सकते.

पूर्व प्रधानमंत्री सिंह ने प्रतीक्षा 2030 में कहा कि बेरोजगारी चरम पर है और अनौपचारिक क्षेत्र की हालत नाजुक बनी हुई है. यह संकट वर्ष 2016 में बिना सोचे-समझे लिए गए नोटबंदी के फैसले से पैदा हुआ है. सम्मेलन का आयोजन एक दृष्टिपत्र पेश करने के लिए किया गया, जो केरल में विधानसभा चुनाव से पहले राज्य के विकास पर विचारों का एक प्रारूप है.

पूर्व प्रधानमंत्री ने राज्य विधानसभा चुनाव के लिए घोषणा पत्र में न्याय जैसे विचार को शामिल करने को लेकर केरल की कांग्रेस नीत यूडीएफ सरकार के फैसले की सराहना भी की. उन्होंने कहा कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र में यह योजना पेश की गई थी, जिसका मकसद गरीबों को प्रत्यक्ष नकद अंतरण (डीबीटी) उपलब्ध कराना है.

उन्होंने कहा कि कहीं अधिक चिकित्सा संस्थानों के माध्यम से मुफ्त स्वास्थ्य सेवाओं जैसे उपाय सामाजिक क्षेत्र के बुनियादी ढांचे को मजबूत करेंगे, जिससे समावेशी विकास का मार्ग प्रशसत होगा और इसमें वंचित तबकों की जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा. सिंह ने कहा कि यह कांग्रेस की विचारधारा का सारतत्व है और यह खुशी की बात है कि यूडीएफ के सभी दलों के इस पर समान विचार है.

पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि गरीबों की मदद करने के लिए इस तरह की योजनाएं अर्थव्यवस्था को भी एक झटके में चालू कर देंगी, क्योंकि इससे मांग पैदा होगी, लघु एवं सूक्ष्म क्षेत्र में उत्पादन अधिक होगा, कृषि और असंगठित क्षेत्र में रोजगार के अधिक अवसर सृजित किए जा सकेंगे और राष्ट्रीय स्तर पर लंबी आर्थिक सुस्ती के बाद अर्थव्यवस्था तेजी से पटरी पर लौटने लगेगी.

उन्होंने कहा कि निराशा की भावना के बीच मैं योजनाबद्ध विकास के प्रति यूडीएफ सरकार के सही दिशा में आगे बढ़ने और आम आदमी के लिए इसे उम्मीद की किरण के रूप में देख रहा हूं. उन्होंने आगे कहा कि मैंने वर्ष 1991 में वित्त मंत्री के तौर पर राष्ट्रीय बजट पेश करते हुए विक्टर हुगो को उद्धृत करते हुए कहा था कि एक विचार से ज्यादा ताकतवर कोई चीज नहीं है. मुझे यह आभास हो रहा है कि यूडीएफ ने लोग की स्पष्ट राह दिखाई है, वह केरल को सही दिशा में ले जाएगी.

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Posted by : Vishwat Sen

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