14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

पुरुष से कम खतरनाक नहीं हैं महिला माओवादी

नयी दिल्ली: माओवादियों की महिला कैडर पुरुषों से कम खतरनाक नहीं हैं क्योंकि उन्हें भी पुरुषों की ही तरह छापामार युद्ध का कडा प्रशिक्षण दिया जाता है. छत्तीसगढ के बस्तर में शनिवार को कांग्रेस नेताओं पर घातक हमले को अंजाम देने वाले माओवादियों में बडी संख्या में महिला कैडरों के होने की खबरें हैं. खुद […]

नयी दिल्ली: माओवादियों की महिला कैडर पुरुषों से कम खतरनाक नहीं हैं क्योंकि उन्हें भी पुरुषों की ही तरह छापामार युद्ध का कडा प्रशिक्षण दिया जाता है.

छत्तीसगढ के बस्तर में शनिवार को कांग्रेस नेताओं पर घातक हमले को अंजाम देने वाले माओवादियों में बडी संख्या में महिला कैडरों के होने की खबरें हैं. खुद प्रत्यक्षदर्शियों ने खुलासा किया है कि हमलावर नक्सलियों में हथियारबंद महिलाएं शामिल थीं. सूत्रों ने बताया कि महिला माओवादियों की संख्या में दिन ब दिन इजाफा हो रहा है. वे केवल माओवादियों के आंदोलन का समर्थन ही नहीं करतीं, बल्कि हमले और अभियान अकेले दम पर संचालित करने के लिए प्रशिक्षित भी होती हैं.

उन्होंने कहा कि महिला कैडर माओवादियों की समर्थक ही नहीं बल्कि नेता भी होती हैं. जहां तक उनके प्रशिक्षण का सवाल है, महिला माओवादी कमांडर किसी अभियान का नेतृत्व करने की क्षमता रखती हैं और छापामार युद्ध का प्रशिक्षण लेने के बाद पुरुष कैडरों जितनी ही खतरनाक मानी जाती हैं.

सूत्रों के अनुसार महिला कैडरों को पहले पहल बाल संगम में नियुक्त किया जाता है. बाल संगम में छह से 12 साल के बच्चे बच्चियों को प्रशिक्षित किया जाता है. जब लडकी 20 साल की हो जाती है तो उसे कोई भी अभियान संचालित करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है ताकि वह जरुरत पडने पर माओवादियों के समूह को नेतृत्व भी प्रदान कर सके.

सूत्रों ने बताया कि इन महिला माओवादियों को सुरक्षाबलों पर हमले या मुठभेड में कई बार आजमाया जाता है कि वे प्रशिक्षण पर खरी उतरी हैं या नहीं. इसके बाद उन्हें कोई जिम्मेदारी सौंपी जाती है.महिला माओवादियों को बम बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता है. इसके अलावा वे वामपंथी उग्रवादियों के लिए भोजन पकाने का काम भी करती हैं.

बताया जाता है कि माओवादियों में महिला कैडरों की संख्या 40 फीसदी से अधिक है. महिलाएं विभिन्न वजहों से नक्सल कैडर में शामिल होती हैं. इनमें उंची जाति के लोगों द्वारा दमन और यौन उत्पीडन, नक्सल समर्थक परिवार में विवाह, गरीबी और बेहतर जीवन जीने की इच्छा (जिसकी नक्सल पेशकश करते हैं) शामिल है. एक बार नक्सल कैडर बनने के बाद महिला को छापामार की वर्दी पहननी होती है. पीठ पर भारी बैग लेकर चलना पडता है, जिसमें हथियार, गोला बारुद, वर्दी और खाना पकाने के बर्तन आदि होते हैं

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें