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अब अगले चुनावी किला फतह करने को पीएम मोदी कर सकते हैं कैबिनेट में फेरबदल

नयी दिल्ली : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मिली बड़ी जीत की बिसात पर अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस साल के अंत में होने वाले दो राज्यों और वर्ष 2018 में होने वाले चार राज्य कर्नाटक और मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान में होने वाले चुनावों में किला फतह करने के लिए बजट सत्र के बाद […]

नयी दिल्ली : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मिली बड़ी जीत की बिसात पर अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस साल के अंत में होने वाले दो राज्यों और वर्ष 2018 में होने वाले चार राज्य कर्नाटक और मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान में होने वाले चुनावों में किला फतह करने के लिए बजट सत्र के बाद अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल कर सकते हैं. हालांकि, बताया यह भी जा रहा है कि मंत्रिमंडल में फेरबदल के पीछे एक अहम कारण महत्वपूर्ण पदों का रिक्त होना और कुछ नये चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल करना है.

मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, इस साल के अंत तक हिमाचल प्रदेश और गुजरात में विधानसभा के चुनाव होने हैं. वहीं, अगले साल यानी वर्ष 2018 के मई में कर्नाटक और नवंबर-दिसंबर तक मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान में चुनाव होना है. इस समय हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में कांग्रेस की सरकारें है. भारतीय जनता पार्टी को इन दोनों राज्यों में वापसी करेगी. गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में खुद भाजपा की ही सरकारें हैं और उसे इन राज्यों में अपनी सरकारों के बने रहने की उम्मीद है.

वहीं, वर्तमान समय में मनोहर पर्रिकर के गोवा के सीएम का पदभार ग्रहण करने के बाद से वित्त मंत्री अरुण जेटली पर रक्षा मंत्रालय की अतिरिक्त जिम्मेदारी आ गयी है. रक्षा मंत्री और वित्त मंत्रालय दोनों की जिम्मेदारी से उन पर काम का बोझ बढ़ गया है. संभावना है कि पीएम मोदी रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी किसी और को दे सकते हैं.

2014 में लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत के बाद रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी जेटली के पास थी. इसके बाद पर्रिकर को गोवा से बुलाकर रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी. एक तरफ जहां जेटली को वित्त मंत्री की जिम्मेदारी उठानी है, वहीं उन्हें रक्षा मंत्री होने के नाते इस क्षेत्र के लिए वित्तीय मांग करनी है, जिससे वह बेहद जटिल परिस्थिति के बीच फंस गये हैं.

इसके अलावा, बताया यह भी जा रहा है कि सुषमा स्वराज के किडनी ट्रांसप्लांट के कारण विदेश मंत्रालय की जिम्मेदारी उनकी जगह किसी और को देने की भी अटकलें हैं. हालांकि, बुधवार को तीन महीने के बाद लोकसभा लौटीं सुषमा बेहद सहज नजर आयीं. उन्होंने 15 मिनट का भाषण दिया और पूरे भाषण के दौरान खड़ी रहीं.

सूत्र बताते हैं कि 12 अप्रैल को संसद का बजट सत्र खत्म होने के बाद किसी भी दिन इस फेरबदल को अंजाम दिया जा सकता है. इसके अलावा, किसी केंद्रीय मंत्री को अगर उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री के तौर पर राजनाथ सिंह, मनोज सिन्हा, संतोष गंगवार और डॉ महेश शर्मा में से किसी एक को भेजा जाता है, तो वह जगह भी खाली होगी. बिहार और उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले जिन नेताओं को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था, उनमें से जिनके कामकाज से प्रधानमंत्री खुश नहीं हैं, उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है.

भाजपा नेतृत्व द्वारा तय 75 साल उम्र सीमा पार कर चुके नेता कलराज मिश्र भी सरकार से विदा हो सकते हैं. नये मंत्रियों के तौर पर हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के नेताओं को तवज्जो दी जा सकती है. मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों में शिवराज सिंह चौहान, वसुंधरा राजे और रमन सिंह से कम से कम किसी एक को केंद्र में लाया जा सकता है.

भाजपा के सूत्र कहते हैं कि किसी मुख्यमंत्री को केंद्र में मंत्री बनाना कोई नयी बात नहीं है. आखिर पर्रिकर को भी तो गोवा से लाया ही गया था. फिर वसुंधरा राजे और रमन सिंह तो प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय मंत्री रह भी चुके हैं. उन्हें इसका अनुभव है. रमन सिंह वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री रहे हैं, जबकि वसुंधरा राजे विदेश राज्य मंत्री का पद संभाल चुकी हैं.

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