नयी दिल्ली : रोहित वेमुला के मौत को अभी एक साल ही बीते थे कि होली की शाम जेएनयू के एक और दलित छात्र की खुदकुशी का सामने आया है. तमिलनाडु के सेलम जिले के रहने वाले मुथुकृष्णनन जीवानंदम (रजनी कृष) का शव सोमवार को एक दोस्त के घर पंखे से लटकता हुआ पाया गया. 25 साल के मथुकृष्णन जेएनयू में एम. फिल के छात्र थे. अपने आखिरी फेसबुक पोस्ट में उन्होंने असमानता की बात की थी हालांकि पुलिस को उसके आसपास कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है.
जुलाई 2016 में भी फ़ेसबुक पर कृष ने एक पोस्ट किया था जिसमें उसने जेएनयू पहुंचने की अपनी कहानी लिखते हुए बताया था, कि ये जेएनयू आने का मेरा चौथा साल है. मैंने तीन बार जेएनयू में एमए में दाख़िला लेने के लिए प्रवेश परीक्षा दी. दो बार जेएनयू की एम फिल और पीएचडी की परीक्षा दी. दो बार इंटरव्यू में भी शामिल हुआ…
इस पोस्ट में उसने आगे लिखा कि आप जानते हैं…. पहली दो बार मैंने अंग्रेज़ी अच्छे से नहीं जानता था… लेकिन मैंने कोशिश की क्योंकि मैं हौसला नहीं हारना चाहता था. हर साल जेएनयू में प्रवेश पाने के लिए मैंने छोटे-छोटे काम किये, पैसा बचाया, कभी ट्रेन में भोजन नहीं किया. पहली दो बार में तमिलनाडु से आया और अंतिम दो बार हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी से…
कृष ने फेसबुक पोस्ट में लिखा कि हर साल लोग मुझे दुआ देते थे कि इस साल तुम्हारा प्रवेश जेएनयू में हो जाएगा.मैं लगातार कोशिश करता रहा क्योंकि मैं हौसला नहीं हारना चाहता था और मैं हमेशा सोचता था कि मेहनत कभी जाया नहीं जाती है… मैं हर साल नेहरू की मूर्ति के नीचे बैठता था और नेहरू से कहता था कि नेहरू जी मेरे परिवार के सभी लोग कांग्रेस को वोट देते हैं, आप क्यों नहीं चाहते कि मुझे शिक्षा मिले….
कृष ने लिखा कि आख़िरी इंटरव्यू के संबंध में बताया कि 11 मिनट बाद एक मैडम ने मुझसे कहा कि मैं सरल भाषा बोल रहा हूं. इस बार के साक्षात्कार में मैं आठ मिनट तक बोला और सभी सवालों के जवाब देने का प्रयास किया. तीन प्रोफ़ेसरों ने मुझसे कहा कि मैंने अच्छे जवाब दिये हैं. मैं सेलम ज़िले से जेएनयू में चयनित होने वाला अकेला छात्र हूं… इस पोस्ट में रजनी ने लिखा, कि ये पल मेरे लिए ऐतिहासिक है. मैं इसपर किताब लिखूंगा- ‘फ्रॉम जंकेट टू जेएनयू’