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पंजाब : अमरिंदर सिंह की कैप्टनशिप का कमाल, पंजाब में नहीं चला मोदी लहर

चंडीगढ़ : जबर्दस्त मोदी लहर के बीच पंजाब से कांग्रेस के लिए राहत भरी खबर है. कांग्रेस जहां 78 सीटों में आगे है वहीं अकाली व भाजपा गठबंधन सिर्फ 16 सीटें हासिल करते दिख रही है.कांग्रेस ने पंजाब में वापसी की है. यूपी में राहुल गांधी और अखिलेश की प्रचार अभियान के बावजूद सपा -कांग्रेस […]

चंडीगढ़ : जबर्दस्त मोदी लहर के बीच पंजाब से कांग्रेस के लिए राहत भरी खबर है. कांग्रेस जहां 78 सीटों में आगे है वहीं अकाली व भाजपा गठबंधन सिर्फ 16 सीटें हासिल करते दिख रही है.कांग्रेस ने पंजाब में वापसी की है. यूपी में राहुल गांधी और अखिलेश की प्रचार अभियान के बावजूद सपा -कांग्रेस बुरी तरह से पराजित हुई. वहीं पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अकेले दम पर चुनाव में जबर्दस्त जीत हासिल की. यह कैप्टन अमरिंदर सिंह का जादू ही था जो एक मृतप्राय पार्टी को वापस ऑक्सीजन मिल गयी. इस जीत ने यह भी साबित कर दिया कि अगर कांग्रेस पार्टी फिर से अपना आधार वपस करना चाहती है तो उसे क्षत्रपों पर भरोसा करना होगा.

कैप्टन ने चुनाव की तैयारी काफी पहले कर दी थी. चुनाव के लगभग छह महीने पूर्व अमरिंदर सिंह ने केंद्रीय नेतृत्व का विश्वास जीता और पंजाब चुनाव की तैयारियों में जुट गये. पंजाब के लोगों के सामने कैप्टन अमरिंदर सिंह के रूप में सीएम का स्पष्ट चेहरा था. गौरतलब है कि पंजाब में कांग्रेस पार्टी लंबे समय से गुटबाजी से जूझ रही थी. पार्टी की अंदरूनी कलह का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कैप्टन को कांग्रेस ने चुनाव से एक हफ्ते पहले सीएम पद के प्रत्याशी के रूप में घोषित किया.
पंजाब कांग्रेस में दो गुट सक्रिय थे. प्रताप सिंह बाजवा और अमरिंदर गुट के बीच वर्चस्व की लड़ाई थी लेकिन चुनाव से पहले अमरिंदर सिंह की सक्रियता से साफ हो गया था कि अगर कांग्रेस जीतती है तो अमरिंदर सिंह मुख्यमंत्री होंगे. अकाली के वंशवाद और कुशासन के बीच पंजाब को एक अनुभवी चेहरा कैप्टन अमरिंदर सिंह के रूप में मिल गया था.

राहुल गांधी पंजाब में प्रचार के दौरान नहीं थे सक्रिय

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पंजाब चुनाव के दौरान ज्यादा सक्रिय नहीं दिखे. इस बात का लाभ भी पार्टी को मिला. राहुल भारतीय राजनीति में धीरे -धीरे असफलता के प्रतीक बनते जा रहे हैं. वहीं कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. आम लोगों में यह धारणा थी कि अमरिंदर को अब एक मौका देना चाहिए. उधर अकाली की सरकार में वंशवाद और खराब प्रशासन से पंजाब में लोगों का गुस्सा बढ़ा दिया. पंजाब में युवाओं का एक बड़ा तबका नशे की गिरफ्त में है.

प्रकाश सिंह बादल के कुनबा से नाराज थे लोग

प्रकाश सिंह बादल की सरकार में वंशवाद अपने चरम पर था. पिता मुख्यमंत्री व बेटा उप -मुख्यमंत्री का पद संभाल रहे थे. वहीं सुखबीर सिंह बादल के साले विक्रम सिंह मजीठिया राजस्व मंत्री है. प्रकाश सिंह बादल के दामाद आदेश प्रताप सिंह कैरो भी पंजाब सरकार में मंत्री है. वहीं प्रकाश सिंह बादल पंजाब में लंबे समय से शासन कर रहे थे . सत्ता विरोधी लहर भी एक वजह थी जो पार्टी की हार का कारण बनी.
Prabhat Khabar Digital Desk
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