नयी दिल्ली : मजदूरों को उनका वेतन चैक से या उनके बैंक खातों में धन अंतरित करके देने के प्रावधान वाले मजदूरी भुगतान संशोधन विधेयक 2017 को आज लोकसभा ने मंजूरी दे दी.
श्रम मंत्री बंडारु दत्तात्रेय ने विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि सभी दलों ने मजदूरों के हित वाले इस विधेयक का समर्थन किया है और ‘‘मुझे विश्वास है कि इस विधेयक के पारित होने से मजदूरों, उनके श्रम का सम्मान होगा.” उन्होंने कहा कि ‘‘डॉ भीमराब अंबेडकर और दत्तोपंत ठेंगडी जैसे मजदूर क्षेत्र में काम करने वालो लोगों को इस विधेयक के पारित होने से सच्ची श्रद्धांजलि होगी.” उन्होंने कहा कि सरकार मजदूरी के भुगतान में पारदर्शिता लाने और श्रमिकों के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए यह विधेयक लेकर आयी है. इससे नियोक्ताओं द्वारा श्रमिकों का उत्पीड़न भी रुकेगा.
1936 के मजदूरी संदाय अधिनियम का संशोधन करने वाले उक्त विधेयक को ध्वनिमत से लोकसभा ने मंजूरी दी. पिछले सत्र में इस विषय पर अध्यादेश लाये जाने के तरीके के संबंध में सदस्यों के सवाल पर बंडारु दत्तात्रेय ने कहा कि अध्यादेश किसी विशेष परिस्थिति में लाया जाता है. उन्होंने कहा, ‘‘मैं गौरव से बताना चाहता हूं कि देश में मजदूरों की जो स्थिति है उन्हें बेहतर तरीके से वेतन दिलाने के लिए यह कदम उठाया गया.” शीतकालीन सत्र में 15 दिसंबर को इस विषय पर विधेयक पेश किया गया था लेकिन इसके पारित नहीं हो पाने के चलते दिसंबर के अंत में राष्ट्रपति ने इससे संबंधित अध्यादेश को मंजूरी दी थी.
दत्तात्रेय ने कहा कि पिछले कई सालों से मजदूर संगठनों की इस संबंध में मांग थी. उन्होंने बड़ी संख्या में मजदूरों के बैंक खाते नहीं होने और ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग व्यवस्था सुदृढ नहीं होने की सदस्यों की चिंताओं पर कहा कि सरकार का जोर मजदूरों के अधिक से अधिक बैंक खाते खोलने पर है. श्रम का विषय समवर्ती सूची में होने से इस काम में राज्य सरकारों को भी सहयोग देना होगा.
मंत्री ने कहा कि इस बीच 48 लाख मजदूरों के बैंक खाते खोले जा चुके हैं. दत्तात्रेय ने पिछले सत्र में संसद में सुगम कामकाज नहीं होने का जिक्र करते हुए कहा कि मातृत्व अवकाश को 12 हफ्ते से बढ़ाकर 26 हफ्ते करने के प्रावधान वाला विधेयक राज्यसभा में पारित हो चुका है लेकिन लोकसभा में यह पास नहीं हो पाया है.
आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन ने विधेयक पर अपने एक संशोधन को वापस ले लिया. विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए प्रेमचंद्रन ने विधेयक का पूर्ण समर्थन किया लेकिन अध्यादेश जारी करने के सरकार के तौर तरीकों पर आपत्ति जतायी. साथ ही उन्होंने कहा कि श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए अभी बहुत से कदम उठाए जाने बाकी हैं.
कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने भी अध्यादेश लाए जाने की आलोचना की. उन्होंने साथ ही कहा कि श्रमिकों के हितों के लिए यह जरुरी है कि सरकार उद्योग को अधिसूचित और गैर अधिसूचित श्रेणी में वर्गीकृत करे.
इंडियन नेशनल लोकदल के दुष्यंत चौटाला ने कहा कि नियोक्ताओं द्वारा श्रमिकों को पिछली तारीख से चैक दिए जाते हैं जिनके भुगतान में 15 से 20 दिन का समय लग जाता है और इसके चलते उनके खाते में वेतन आने में देरी होती है. उन्होंने वेतन के चैक महीने के पहले सप्ताह की तारीख में ही जारी किए जाने का प्रावधान करने की मांग की. चर्चा में तृणमूल कांग्रेस के तापस मंडल, तेदेपा के पी रविंद्र, कांग्रेस की सुष्मिता देव, राजद के जयप्रकाश नारायण यादव और भाजपा के संजय जायसवाल आदि ने भी भाग लिया.