नयी दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने बाजार नियामक सेबी से कहा है कि देश में बाजार व्यवस्था का दुरपयोग बर्दाश्त नहीं करने का स्पष्ट संदेश देने के लिये जोड़ तोड़ और भ्रामक आचरण में लिप्त कंपनियों से सख्ती से निपटा जाये.
न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति दीपक मिश्र की खंडपीठ ने कहा, ‘‘बाजार नियामक सेबी को जोड़ तोड़, कपटपूर्ण तरीके और भेदिया कारोबार जैसी गतिविधियों में लिप्त कंपनियों और उनके निदेशकों से सख्ती से पेश आना होगा. अन्यथा वे प्रतिभूति बाजार के सुव्यवस्थित और स्वस्थ्य विकास को बढावा देने के अपने कर्तव्य को निभाने में असफल रहेंगे. ’’ शीर्ष अदालत का यह निणर्य काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह ऐसे समय में आया है जब जनता से गैरकानूनी तरीके से धन एकत्र करने के मामले में चिट फंड कंपनियां और सहारा समूह सुर्खियों में हैं. यह फैसला ऐसी कंपनियों से सख्ती से निपटने के लिये बाजार नियामक का हौसला बढ़ायेगा.
न्यायालय ने कहा, ‘‘यह संदेश जाना चाहिए कि हमारा देश बाजार से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं करेगा और हम कानून के शासन से संचालित होते हैं. सेबी को सुनिश्चित करना चाहिए कि देश के प्रतिभूति कारोबार में छल, कपट, ठगी और बनावट के लिये कोई जगह नहीं है और बाजार की सुरक्षा हमारा ध्येय है.’’ न्यायालय ने कहा कि धनी, ताकतवर और कंपनियों के प्रबंधन में बैठे लोगों को कंपनियों के निवेशकों और उसमें योगदान करने वालों के बजाय आमतौर पर समाज में ज्यादा सम्मान मिलता है.
न्यायालय ने कहा, ‘‘निवेशकों के योगदान से कंपनियां फल फूल रही हैं लेकिन ये निवेशक फैले हुये हैं. इसलिए सूचीबद्ध कंपनियों के निदेशकों के मौकापरस्त व्यवहार और अंदरुनी लोगों से निवेशकों को संरक्षण प्रदान करना सेबी का कर्तव्य है ताकि बाजार की समग्रता बनी रहे.