नयीदिल्ली : अपने रणनीतिक संबंधों में तेजी लाने के प्रयास के तहत भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएइ) ने आज समग्र रणनीतिक साझेदारी के अलावा रक्षा, सुरक्षा, व्यापार एवं उर्जा जैसे अहम क्षेत्रों में एक दर्जन से अधिक समझौतों पर हस्ताक्षर किए तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह सहयोग संबंधों में एक नयी उड़ान का संकेत है. हालांकि यूएइ ने 75 अरब डाॅलर के निवेश कोष का जो वादा किया है, वह करार इन 14 समझौतों में शामिल नहीं है. इन समझौतों पर मोदी एवं अबू धाबी के शहजादे शेख मोहम्मद बिन जायेद अल नाहयान के बीच बातचीत के बाद दस्तखत हुए. अल नाहयान कल गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि होंगे. वह मंत्रियों, वरिष्ठ अधिकारियों एवं बड़े उद्योगपतियों के एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ कल यहां पहुंचे.
अल नाहयान के साथ अपनी बातचीत को ‘फलदायी एवं उपयोगी’ करार देते हुए मोदी ने उनके संग संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि द्विपक्षीय संबंधों के व्यापक दायरे पर बातचीत हुई.
मोदी ने कहा, ‘‘हमने अपनी समग्र रणनीतिक साझेदारी को उद्देश्यपरक एवं कार्योन्मुखी बनाने के लिए सहयोग का महत्वाकांक्षी रोडमैप तैयार किया है. अभी-अभी जिस करार का विनिमय हुआ है, उसने इस समझ को संस्था का रूप प्रदान किया है. ” उन्होंने कहा कि सुरक्षा एवं रक्षा सहयोग ने इस संबंध को नया आयाम प्रदान किया है एवं घनिष्ठ संबंध का न केवल दोनों देशों के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए महत्व है.
शांति एवं स्थायित्व दोनों देशों के साझे हित में : मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘‘हमने पश्चिम एशिया एवं खाड़ी के घटनाक्रमों पर विचारों का आदान-प्रदान किया जहां की शांति एवं स्थायित्व में दोनों देशों के साझे हित हैं. हमने अफगानिस्तान समेत अपने क्षेत्र के घटनाक्रमों पर भी चर्चा की. हमारे लोगों की सुरक्षा परबढ़ रहे कट्टरपंथ और आतंकवाद के खतरे पर हमारी साझी चिंता इस संबंध में हमारे सहयोग को एक आकार प्रदान कर रही है. ” उन्होंने कहा, ‘‘आगे बढते हुए, हमारा सहयोग एकबड़ी उड़ान भरनेे को तैयार है. मुझे यकीन है कि महामहिम आपकी यात्रा हमारे पिछले संवादों से मिले लाभों एवं समझ को और दृढ बनाएगी तथा यह उसके भावी प्रारूप की दिशा तय करेगी तथा हमारी साझेदारी में गहराई एवं विविधता आएगी.” हालांकि दोनों पक्षों के बीच 75 अरब डाॅलर के निवेश सेजुड़े समझौते पर दस्तखत नहीं हुए जबकि विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने कल इसकी उम्मीद जतायी थी.
संयुक्त अरब अमीरात के पास सबसे बडा सरकारी निवेश कोष होने का जिक्र करते हुए विदेश मंत्रालय के आर्थिक संबंध सचिव अमर सिन्हा ने कल संवाददाताओं से कहा था, ‘‘इस यात्रा के दौरान हम उनके निवेश कोष एवं हमारे राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा निवेश कोष के बीच करार पर दस्तखत होने की उम्मीद कर रहे हैं. ” जब वरिष्ठ अधिकारियों से पूछा गया कि क्यों संधि पर हस्ताक्षर नहीं हुए, तो उन्होंने कहा, ‘‘बातचीत काफी आगे पहुंच गयी है और इस यात्रा ने उन क्षेत्रों की पहचान करने में मदद की है, जिनमें निवेश किया जा सकता है. ”