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छोटा राजन के फर्जी पासपोर्ट मामले की सुनवायी स्थानांतरित करने से अदालत का इनकार

नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी की उस अर्जी को आज खारिज कर दिया जिसमें उसने छोटा राजन को कथित तौर पर एक फर्जी पासपोर्ट जारी करने के लिए अपने खिलाफ मुकदमे की सुनवायी बेंगलुरु स्थानांतरित करने का अनुरोध किया था। अदालत ने कहा कि यहां की एक जिला अदालत […]

नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी की उस अर्जी को आज खारिज कर दिया जिसमें उसने छोटा राजन को कथित तौर पर एक फर्जी पासपोर्ट जारी करने के लिए अपने खिलाफ मुकदमे की सुनवायी बेंगलुरु स्थानांतरित करने का अनुरोध किया था। अदालत ने कहा कि यहां की एक जिला अदालत भी इस पर सुनवायी कर सकती है.

न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने कहा कि जब कोई अपराध भारत के भीतर या बाहर किया जाता है, जहां अपराध किया गया और जिस स्थान पर आरोपी को विदेश से लाया गया दोनों ही जगहों की अदालतों का उसके खिलाफ सुनवायी करने का क्षेत्राधिकार होता है. अदालत ने कहा कि राजन को फर्जी पासपोर्ट जारी करने का अपराध सबसे पहले जनवरी 1999 में बेंगलुरु में किया गया और उसे 2003 में फिर जिम्बाब्वे के हरारे में दोहराया गया जब वहां उच्चायोग द्वारा पासपोर्ट का नवीनीकरण किया गया.
अपराध एक बार फिर तब किया गया जब नवीनीकृत पासपोर्ट के आधार पर आस्ट्रेलिया के सिडनी स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास द्वारा एक और पासपोर्ट जारी किया गया। अदालत ने कहा कि राजन को सीबीआई दिल्ली लेकर आयी। यहां की निचली अदालत का भी सुनवायी का क्षेत्राधिकार है.
अदालत ने कहा, ‘‘बेंगलूर स्थित विशेष न्यायाधीश को यद्यपि अपराध के लिए मुकदमा चलाने का क्षेत्राधिकार है. दिल्ली में विशेष न्यायाधीश का भी कथित तौर पर याचिकाकर्ता (ललिता लक्ष्मणन) और सह आरोपी (राजन) द्वारा किये गए अपराधों के लिए सुनवायी करने का क्षेत्राधिकार है.” सुनवायी दिल्ली से बेंगलुरु ‘‘स्थानांतरित करने का कोई मामला नहीं बनता.”

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