नयी दिल्ली: 15वीं लोकसभा की कार्यवाही भारतीय संसद के इतिहास में सबसे अधिक बाधित रही. इसके अंतिम सत्र में मिर्च स्प्रे की घटना भी हुई, जिससे संसदीय आचरण में नई गिरावट देखने को मिली.
कार्यवाही बाधित होने का आलम यह था कि लोकसभा का एक पूरा का पूरा सत्र 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जेपीसी जांच के मुद्दे पर साफ हो गया. यह अप्रत्याशित है. कोयला ब्लाक आवंटन घोटाले को लेकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस्तीफे की मांग को लेकर भी सदन में भारी हंगामा हुआ.अंतिम सत्र में तेलंगाना को लेकर सदन में हुए बवाल के दौरान कई अप्रत्याशित घटनाक्रम देखने को मिले. इसमें मिर्च स्प्रे करने के अलावा लोकसभा महासचिव के माइक और उनके आगे लगे मानीटर को तोडा गया. यही नहीं खुद सत्तारुढ दल कांग्रेस के सदस्यों ने अपनी ही सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस दिये. और तो और आसन के सामने आकर तेलंगाना बनाने का विरोध करने वालों में मंत्री तक शामिल हुए.
तेलंगाना विधेयक पारित होने से पहले सीमांध्र क्षेत्र के 16 सदस्यों को निलंबित कर दिया गया. आंध्र प्रदेश को विभाजित करने वाले विधेयक ने सदन के धैर्य की परीक्षा ली और पूरे सत्र के दौरान पृथक तेलंगाना राज्य के गठन के समर्थकों और विरोधियों के बीच कहासुनी, नारेबाजी, हाथापाई की नौबत जैसे दृश्य देखने को मिले.लोकसभ में देश के 29वें राज्य के गठन का रास्ता साफ करने वाला विधेयक पिछले सप्ताह पारित हुआ लेकिन विधेयक पारित होने के दौरान खासा विवाद, भ्रम और अफरातफरी की स्थिति रही.अंतरिम रेल बजट पेश कर रहे रेल मंत्री मल्लिकाजरुन खडगे का भाषण हंगामे के कारण पूरा नहीं हो सका और उन्हें सदन पटल पर इसे रखना पडा. अंतरिम बजट भी बिना चर्चा के पारित हो गया.