मुंबई: मालेगांव में 2008 में हुए बम विस्फोटों की मुख्य आरोपी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने बीमारी और पांच साल से ज्यादा समय जेल में काटने के आधार पर आज बंबई उच्च न्यायालय में जमानत की गुहार लगाई लेकिन अभियोजन पक्ष ने राहत दिये जाने का विरोध करते हुए कहा कि साध्वी के खिलाफ सबूत हैं. साध्वी पर अन्य लोगों के साथ नासिक जिले के मालेगांव में 29 सितंबर, 2008 को विस्फोट की साजिश रचने का आरोप है. विस्फोट में छह लोगों की मौत हो गयी थी.
आरोपी की ओर से वरिष्ठ वकील यू आर ललित ने कहा कि साध्वी के खिलाफ मामले में कोई सीधा सबूत नहीं है. उन्होंने कहा कि इस मामले में मकोका कानून को लागू करने का मुद्दा उच्चतम न्यायालय में लंबित है और पता नहीं कि फैसला कब आएगा. इसलिए साध्वी को इस स्तर पर जमानत दी जानी चाहिए.ललित ने यह भी कहा कि यह आरोप संगत नहीं है कि साजिश रचने के लिए बैठकों में शामिल होकर साध्वी ने विस्फोटों को अंजाम देने के लिए लोग मुहैया कराने की पेशकश की थी, क्योंकि भावनात्मक आवेग में यह बात कही गयी थी और इस बात का कोई सबूत नहीं है कि साध्वी की अपराध में संलिप्तता थी.
बहरहाल अभियोजक रोहिणी सालियान ने कहा कि यह दिखाने के लिए पर्याप्त सबूत हैं कि साध्वी ने अभिनव भारत द्वारा भोपाल और जबलपुर में आयोजित बैठकों में हिस्सा लिया था जहां विस्फोटों को अंजाम देने की साजिश रची गयी. उन्होंने कहा कि इस संबंध में कुछ गवाहों ने पुलिस के सामने बयान दिये थे.अभियोजक की दलील थी कि साध्वी के नाम पर पंजीकृत दोपहिया वाहन भी विस्फोट के मौके पर मिला था और यह कथित तौर पर संलिप्तता दिखाता है. हालांकि न्यायमूर्ति पी वी हरदास की खंडपीठ ने मामले की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी को अपराध में साध्वी की संलिप्तता के सबूत पेश करने का निर्देश दिया. इस मामले में कल भी बहस जारी रहेगी.