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पूर्व सैनिकों ने सरकार से कहा : सेना के इस्तेमाल का विकल्प खुला रखा जाए

नयी दिल्ली : उरी में सेना के एक बटालियन पर आतंकी हमले से गुस्साए सेना के पूर्व अधिकारियों ने पाकिस्तानी सरजमीं से हो रही आतंकवादी हरकतों से निपटने के लिए सैन्य विकल्प खुला रखने सहित उसके खिलाफ फौरन कार्रवाई की आज मांग की. लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) बीएस जसवाल ने यहां कहा, ‘‘यदि कुछ स्थानों पर […]

नयी दिल्ली : उरी में सेना के एक बटालियन पर आतंकी हमले से गुस्साए सेना के पूर्व अधिकारियों ने पाकिस्तानी सरजमीं से हो रही आतंकवादी हरकतों से निपटने के लिए सैन्य विकल्प खुला रखने सहित उसके खिलाफ फौरन कार्रवाई की आज मांग की. लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) बीएस जसवाल ने यहां कहा, ‘‘यदि कुछ स्थानों पर हमले की जरुरत है तो हमें अवश्य ही अपना सैन्य विकल्प खुला रखना चाहिए.’ उत्तरी कमान के ‘जीओसी इन सी’ रह चुके जसवाल ने कहा कि जब तक पाकिस्तान को भौतिक रूप से नुकसान नहीं होगा वे हमारी शराफत का सम्मान नहीं करेंगे.

जम्मू कश्मीर के सुरक्षा हालात में विशेषज्ञता रखने वाले मेजर (सेवानिवृत्त) गौरव आर्य ने कहा, ‘‘यह जानते हुए कि हम कोई कार्रवाई नहीं करेंगे, पाकिस्तान इसे (आतंकी हमले) बार -बार करता आ रहा है.’ उन्होंने कहा कि कश्मीर में समस्याओं को रावलपिंडी स्थित सेना मुख्यालय में सुव्यवस्थित रुप से गढा गया है. ‘‘हमें फौरन कार्रवाई करने की जरूरत है. पाकिस्तान के साथ व्यापार बंद किया जाए, इसे दिया गया सर्वाधिक पसंदीदा राज्य (एमएफएन0 का दर्जा घटाया जाए.
दुनिया को अवश्य जानना चाहिए कि हम गंभीर हैं.’ हमले के बाद गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में सेना के दो अंगों के प्रमुखों की अनुपस्थिति के बारे में सवाल पूछे जाने पर पूर्व सेना प्रमुख जनरल शंकर रॉय चौधरी ने कहा कि ये हरकतें पाकिस्तान से की जा रही हैं. उन्होंने कहा, ‘‘हमारी इस बैठक की अध्यक्षता उन्होंने की जो सरकार में नंबर 2 पर हैं. इसमें रॉ प्रमुख और सीआरपीएफ प्रमुख मौजूद थे. ये हरकतें (आतंकी हमले) कौन कर रहे हैं? यह सीमा पार से, पाकिस्तान से हो रहा है.’ उन्होंने पूछा, ‘‘क्या सीआरपीएफ प्रमुख पाकिस्तान पर गौर करने जा रहे हैं ? थल सेना प्रमुख और नौसेना प्रमुख कहां हैं? सरकार की रणनीतिक कार्रवाई पर सलाह देने के लिए वे उपलब्ध क्यों नहीं थे? ‘
सेवानिवृत ब्रिगेडियर अनिल गुप्ता ने पाकिस्तान पर घाटी में अस्थिरता पैदा करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि यह हमला भारत के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है और कश्मीर की मौजूदा अशांति को खत्म नहीं होने की पाकिस्तान की हताशा भरी कोशिश है. गुप्ता ने कहा कि आलोचनाएं झेलने और समस्याओं का सामना करने के बावजूद पाकिस्तान कश्मीर के अंदर आतंकवाद को बढावा देने पर अमादा है. हमले पर टिप्पणी करते हुए लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने कहा कि आत्मघाती हमलों को रोकना मुश्किल है लेकिन नुकसान को नियंत्रित करने की हमेशा संभावना होती है. 15 और 21 कोर के पूर्व जीओसी ने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा कि इस तरह के हमले एक अलग तरह की युद्ध शैली है. इसके नाजुक फर्क को समझिए. कहीं भी पूरी तरह से गारंटी नहीं है. मुख्य खतरा आत्मघाती हमला है जो 2004 से नहीं देखा गया है. लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत) केजे सिंह ने भी कहा कोई भी रक्षा सेवा ‘फूल प्रूफ’ नहीं है हालांकि हमें ऐसा करने का लक्ष्य रखना चाहिए.

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