21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

नक्सल प्रभावित क्षेत्र में लोगों का विश्वास जीतने के लिए पुलिस जवान सीख रहे है आदिवासी बोली

रायपुर : छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र में आदिवासियों का विश्वास हासिल करने के लिए पुलिस ने अपने अधिकारियों और जवानों को स्थानीय बोलियों का प्रशिक्षण देना शुरु किया है. पुलिस को उम्मीद है कि इस प्रशिक्षण से पुलिस को सूचना के आदान प्रदान में भी सहयोग मिलेगा. राज्य के नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र […]

रायपुर : छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र में आदिवासियों का विश्वास हासिल करने के लिए पुलिस ने अपने अधिकारियों और जवानों को स्थानीय बोलियों का प्रशिक्षण देना शुरु किया है. पुलिस को उम्मीद है कि इस प्रशिक्षण से पुलिस को सूचना के आदान प्रदान में भी सहयोग मिलेगा.

राज्य के नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र में तैनात छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल का जवान विजय यादव (बदला हुआ नाम) इन दिनों स्थानीय दोरली बोली सीख रहा है. ऐसा नहीं है कि बस्तर के आदिवासियों की बोलियों को सीखने वाला विजय ही अकेला एक ऐसा जवान है. जबकि उसके अन्य साथी और अफसर भी क्षेत्र की स्थानीय बोलियों में महारत हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं.

राज्य का धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र बस्तर में सात जिले बस्तर, कोंडागांव, बीजापुर, कांकेर, दंतेवाड़ा, सुकमा और नारायणपुर है. यह क्षेत्र अपने नैसर्गिक संसाधनों की प्रचुरता के लिए विख्यात तो है ही साथ ही साथ कई आदिवासी जनजातियां भी यहां निवास करती है, जिनमें गोंड, अबुझमाडि़या, हल्बा, धुर्वा और मुरिया प्रमुख हैं.

राज्य में नक्सल समस्या के साथ ही क्षेत्र में बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों के जवानों की तैनाती शुरु हुई लेकिन सालों बीतने के बाद भी क्षेत्र में सुरक्षा बलों को यदि सबसे ज्यादा किसी समस्या का सामना करना पड़ता है तो वह है भाषा की समस्या. लेकिन अब राज्य सरकार ने इस समस्या के समाधान के लिए उपाय खोज निकाला है तथा सुरक्षा बलों के जवानों को स्थानीय बोलियों का प्रशिक्षण शुरु कर दिया गया है.

राज्य के नक्सल मामलों के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक आरके विज का कहना है कि राज्य के बस्तर क्षेत्र में नक्सलियों का मुकाबला कर रहे पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवान रोजमर्रा की समस्याओं के साथ ही सूचना के आदान प्रदान में समस्या का भी सामना करते हैं.

विज बताते हैं कि राज्य के बस्तर क्षेत्र में बड़ी संख्या में अर्धसैनिक बलों के जवान तैनात हैं जो देश के अन्य क्षेत्रों से यहां आकर नक्सलियों का मुकाबला कर रहे हैं. हालंकि नक्सल विरोधी अभियान के दौरान जिला बल के जवान भी इनके साथ होते हैं लेकिन स्थानीय बोलियों को नहीं समझने के कारण इन्हें समस्याओं का सामना करना पड़ता है. और कई बार यह खतरनाक भी साबित होता है.

कई ऐसे मामले सामने आए हैं कि पुलिस बल के जवान जंगल में ग्रामीणों से रास्ता पूछते हैं लेकिन स्थानीय बोलियों की जानकारी नहीं होने के कारण रास्ता भटकने की भी नौबत आ जाती है. वहीं नक्सलियों की उपस्थिति के बारे में भी कई बार सही अंदाजा नहीं हो पाता है.

क्षेत्र में तैनात जवानों के मुताबिक जब वह अंदरुनी क्षेत्रों में ग्रामीणों की मदद करने या मदद लेने की कोशिश करते हैं तब वह उनसे दूर भागते हैं और बात करने से कतराते हैं. इस दौरान पुलिस जवान भी स्थानीय बोलियों की जानकारी नहीं होने के कारण असहाय महसूस करते हैं. विज बताते हैं कि पुलिस बल की इस समस्या को ध्यान में रखते हुए राज्य शासन ने पुलिस जवानों को स्थानीय बोलियों का भी प्रशिक्षण देने का फैसला किया है और इसकी शुरुवात भी हो गई है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें