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दिल्ली के अरुणाचल भवन में नाबाम तुकी ने सीएम का कार्यभार संभाला

नयी दिल्ली :नाबाम तुकी ने अरूणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री का कार्यभार दिल्ली के अरुणाचल भवन में संभाल लिया है. गौरतलब है कि अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाये जाने के राज्यपाल के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने आज सुबह असंवैधानिक बताते हुए वहां कांग्रेस के शासन को पुन: बहाल करने का आदेश सुनाया था.सुप्रीमकोर्ट नेनबामतुकी […]

नयी दिल्ली :नाबाम तुकी ने अरूणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री का कार्यभार दिल्ली के अरुणाचल भवन में संभाल लिया है. गौरतलब है कि अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाये जाने के राज्यपाल के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने आज सुबह असंवैधानिक बताते हुए वहां कांग्रेस के शासन को पुन: बहाल करने का आदेश सुनाया था.सुप्रीमकोर्ट नेनबामतुकी के नेतृत्व वालीसरकारकोबहालकरने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट का यह फैसलाकेंद्रकी नरेंद्र मोदी सरकार के लिएदूसराबड़ाझटकाहै, जिसनेराज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया था. इससे पहले उत्तराखंड में भी अदालती आदेश पर कांग्रेस की हरीश रावत सरकार बहाल की गयी थी.

अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाये जाने के केंद्रीय मंत्रिमंडल की सिफारिश को कांग्रेस पार्टी नेसुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर आज सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने फैसला सुनाया और राज्यपाल के फैसले को गलत बताया और कहा कि यह फैसला संविधान के अनुकूल नहीं था.संविधानपीठनेअपनेफैसले में कहा किहमघड़ी की सूई को पीछे ले जायेंगे. अरुणाचल प्रदेश में अब 15 दिसंबर 2015 की पहले वाली स्थिति पुन: बहाल होगी, जब वहां नबाम तुकी के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार थी. सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला भाजपा के लिए भी एक नैतिक हार की तरह है, क्योंकि अरुणाचल व उत्तराखंड में उसकी अगुवाई में ही कांग्रेस की सरकार अल्पमत में आयी थीं. अरुणाचल में कांग्रेस में हुए अंदरूनी विद्रोह में भाजपा के समर्थन से कांग्रेस के बागी कलिखो पुल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.

फैसले के बाद कांग्रेस नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल के फैसले को गलत ठहराया और इसे संविधान की मूल भावना के विपरीत बताया. फैसले पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि हमें सुप्रीम कोर्ट पर पूरा भरोसा था और हमें फैसले पर गर्व है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राज्यपाल द्वारा प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाये जाने के लिए जो अधिसूचना जारी की गयी थी उसे रद्द कर दिया गया और वहां 15 दिसंबर वाली स्थिति बहाल कर दी गयी है. गौरतलब है कि 26 जनवरी को राष्ट्रपति ने अरुणाचल प्रदेश में राष्‍ट्रपति शासन लगाये जाने की अनुमति दी थी, जिसके बाद कांग्रेस सहित तमाम विरोधी दल ने इसका विरोध करते हुए केंद्र सरकार की आलोचना की थी.
गौरतलब है कि अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन को हटाये जाने का फैसला केंद्र सरकार के लिए एक बड़ा झटका है. इससे पहले उत्तराखंड से भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर राष्ट्रपति शासन हटाया गया था और हरीश रावत की सरकार ने विश्वास का मत जीता था. अब अरुणाचल प्रदेश में नबाम टुकी की सरकार पुन: बन सकती है.

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