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गुलबर्ग सोसाइटी केस में 14 साल बाद फैसला: 24 दोषी करार, भाजपा पार्षद समेत 36 बरी

अहमदाबाद:गुजरात के चर्चित गुलबर्ग सोसायटी हत्याकांड पर स्पेशल एसआइटी कोर्ट ने आज फैसला सुनाते हुए 24 लोगों को दोषी जबकि मामले में 36 लोगों को बेगुनाह करार दिया है. कोर्ट ने जिन 36 लोगों को बरी किया है उनमें एक पुलिस इंस्पेक्टर ,कांग्रेस पार्षद मेघ सिंह चौधरी ,के जी एर्दाऔर भाजपा पार्षदविपिन पटेलशामिल है.कोर्ट ने […]

अहमदाबाद:गुजरात के चर्चित गुलबर्ग सोसायटी हत्याकांड पर स्पेशल एसआइटी कोर्ट ने आज फैसला सुनाते हुए 24 लोगों को दोषी जबकि मामले में 36 लोगों को बेगुनाह करार दिया है. कोर्ट ने जिन 36 लोगों को बरी किया है उनमें एक पुलिस इंस्पेक्टर ,कांग्रेस पार्षद मेघ सिंह चौधरी ,के जी एर्दाऔर भाजपा पार्षदविपिन पटेलशामिल है.कोर्ट ने कहा कि 34 आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी किया जा रहा है साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि साजिश के तहत ये घटनाक्रम को अंजाम नहीं दिया गया है.सजा का एलान 6 जून को किया जाएगा.

आपको बता दें कि फरवरी 2002 में गोधरा कांड के बाद उत्तेजित लोगों ने गुलबर्ग सोसायटी में इस हत्याकांड को अंजाम दिया था जिसमें कांग्रेस के पूर्व सांसद अहसान जाफरी सहित 69 लोगों की जान चली गयी थी.गुलबर्ग सोसाइटी दंगा केस में मेघाणीनगर थाना के इंस्पेक्टर रहे एक एर्डा समेत कुल 61 लोग मामले में आरोपी थे. इन आरोपियों में से नौ लोग जेल के अंदर हैं जबकि छह फरार हैं. वहीं बाकी जमानत पर जेल के बाहर हैं.

सुनवाई विशेष अदालत के जज पी बी देसाई ने किया
मामले की सुनवाई विशेष अदालत के जज पी बी देसाई ने किया. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित स्पेशल एसआइटी ने गुलबर्ग सोसायटी मामले में 335 गवाह व 3000 दस्तावेज पेश किया था. कोर्ट ने एक पुलिस इंस्पेक्टर समेत 61 आरोपियों के सामने अपना फैसला सुनाया. गौरतलब है कि पीड़ितों की गुहार पर सुप्रीम कोर्ट ने केस की जांच एसआईटी को सौंप दी थी.

अहमदाबाद पुलिस ने शुरू की थी जांच
मामले के बाद गुलबर्ग सोसाइटी केस की जांच अहमदाबाद पुलिस ने शुरू की थी. 2002 से 2004 तक छह चार्जशीट मामले में दाखिल की गई लेकिन मानवाधिकार आयोग की अर्जी पर 2003 में सुप्रीम कोर्ट ने गुलबर्ग सोसाइटी समेत दंगों के 9 बड़े मामलों पर स्टे लगा दिया था. मामले में लंबी सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 2008 में सभी 9 बड़े मामलों की जांच एसआईटी को सौंप दी थी.

राघवन को बनाया गया था एसआईटी का प्रमुख

एसआईटी का प्रमुख सीबीआई के पूर्व निदेशक आर के राघवन को बनाया गया था. 11 फरवरी 2009 को सुप्रीम कोर्ट ने अदालत में केस की सुनवाई पर भी एसआइटी को नजर बनाए रखने को कहा था. 1 मई 2009 को सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगों के सभी बड़े मामलों की सुनवाई पर लगे स्थगन आदेश को हटाने का फैसला लिया था. 26 अक्टूबर 2010 को सुप्रीम कोर्ट ने गुलबर्ग सोसाइटी को छोड़कर बाकी मामलों में फैसला सुनाने का आदेश दिया था.

कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की गई थी जान
गुलबर्ग सोसाइटी दंगों में जान गंवाने वाले कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी थी जिसमें गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई लोगों पर आरोप लगाया था. एसआईटी ने 27-28 मार्च 2010 को नरेंद्र मोदी ने लंबी पूछताछ की जिसमें मोदी ने आरोपों को गलत बताया था. मोदी ने एसआइटी को कहा था कि 28 फरवरी को एहसान जाफरी ने उन्हें मदद के लिए फोन नहीं किया था.

61 आरोपी शेष थे

मामले में 17 अक्टूबर 2014 को गुलबर्ग सोसाइटी केस की सुनवाई के लिए जज पी बी देसाई की नियुक्ति की गई. 22 फरवरी 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने विशेष अदालत को 3 महीने के अंदर फैसला सुनाने को कहा था. इसके बाद विशेष अदालत के जज पी बी देसाई ने फैसले के लिए 2 जून मतलब आज की तारीख तय की थी. गुलबर्ग सोसाइटी केस में 68 लोगों के खिलाफ चार्जशीट फाइल हुई जिसमें से 4 नाबालिग हैं. 2 लोगों को कोर्ट ने खुद आरोपी बनाया और 5 आरोपी की सुनवाई के दौरान मौत हो गई. अब गुलबर्ग सोसाइटी दंगा मामले में 61 आरोपी शेष बचे हैं.

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