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मालेगांव धमाका : साध्वी प्रज्ञा की जमानत याचिका पर 6 जून को होगी सुनवाई

मुंबई : साल 2008 के मालेगांव धमाके में एनआईए की क्लीन चिट मिलने के बाद कोर्ट में आरोपी साध्वी प्रज्ञा ने जमानत की अर्जी दी जिसपर सुनवाई 6 जून को होगी. साल 2008 के मालेगांव धमाके के मामले में पूरा ‘यू-टर्न’ लेते हुए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और पांच अन्य आरोपियों […]

मुंबई : साल 2008 के मालेगांव धमाके में एनआईए की क्लीन चिट मिलने के बाद कोर्ट में आरोपी साध्वी प्रज्ञा ने जमानत की अर्जी दी जिसपर सुनवाई 6 जून को होगी. साल 2008 के मालेगांव धमाके के मामले में पूरा ‘यू-टर्न’ लेते हुए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और पांच अन्य आरोपियों के खिलाफ सभी आरोप हटा लिए हैं जिसके बाद उनके वकील की ओर से आज मुंबई सेशंस कोर्ट में जमानत की अर्जी दी गयी है.

मामले में लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित सहित सभी 10 अन्य आरोपियों के खिलाफ सख्त मकोका कानून के तहत लगाये गये आरोप भी हटा लिये गये हैं. एनआईए ने दावा किया कि जांच के दौरान प्रज्ञा सिंह ठाकुर और पांच अन्य के खिलाफ ‘पर्याप्त सबूत नहीं पाए गए.’ एजेंसी ने कहा कि उसने आरोप-पत्र में कहा है कि ‘उनके खिलाफ दर्ज मुकदमा चलाने लायक नहीं है.’


क्या है पूरा मामला

29 सितंबर 2008 को रमजान के दौरान मालेगांव में नमाज अदा कर निकल रहे लोगों के दोहरे बम धमाकों की चपेट में आ जाने से सात लोग मारे गए थे. मालेगांव धमाकों के मामले की छानबीन में कई उतार-चढाव आते रहे हैं. इस धमाके के लिए हिंदू दक्षिणपंथी संगठनों से जुडे लोगों को जिम्मेदार माना जाता रहा है. इस मामले की शुरुआती जांच मुंबई एटीएस के संयुक्त आयुक्त हेमंत करकरे ने की थी. 26-11 के मुंबई आतंकवादी हमले में करकरे मारे गए थे. साल 2011 में यह मामला एनआईए को सौंपे जाने से पहले एटीएस ने 16 लोगों पर मामला दर्ज किया था. लेकिन मुबई की एक अदालत में 20 जनवरी 2009 और 21 अप्रैल 2011 को 14 आरोपियों के खिलाफ ही आरोप-पत्र दाखिल किये गये. पुरोहित और प्रज्ञा ने बंबई उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में कई अर्जियां दाखिल कर आरोप-पत्र और मकोका के तहत आरोप लगाये जाने को चुनौती दी थी.

एटीएस की रिपोर्ट से संतुष्‍ट नहीं है एनआईए

साध्वी के अलावा शिव नारायण कलसांगडा, श्याम भवरलाल साहू, प्रवीण टक्कलकी, लोकेश शर्मा और धान सिंह चौधरी के खिलाफ दर्ज आरोप हटा दिये गये हैं. एनआईए ने यह भी कहा कि जांच के दौरान यह पाया गया कि मकोका यानी महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून के तहत इस मामले में आरोप नहीं बनते. मकोका के प्रावधानों के मुताबिक, पुलिस अधीक्षक रैंक के किसी अधिकारी के सामने दिया गया बयान अदालत में साक्ष्य माना जाता है. एजेंसी ने आरोप-पत्र में कहा, ‘एनआईए ने मौजूदा अंतिम रिपोर्ट सौंपने में एटीएस मुंबई की ओर से मकोका के प्रावधानों के तहत दर्ज किए गए इकबालिया बयानों को आधार नहीं बनाया है.’ लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित एवं नौ अन्य पर अब आतंकवाद से मुकाबले के लिए बनाए गए गैर-कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (यूएपीए), भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), शस्त्र कानून और विस्फोटक पदार्थ कानून के प्रावधानों के तहत हत्या और साजिश सहित कई अन्य आरोपों में मुकदमा चलेगा.

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