नयी दिल्ली : कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला मामले में एक जांचकर्ता ने एक विशेष अदालत को बताया कि मामले में क्लोजर रिपोर्ट दायर करने का आदेश तत्कालीन सीबीआइ प्रमुख रंजीत सिन्हा ने दिया था. उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति इस बारे में सिन्हा की भूमिका को लेकर जांच कर रही है कि क्या उनके फैसलों से जांच प्रभावित हुई.
जांच अधिकारी मामले में अभियोजन के गवाह केरूप में अपना बयान दर्ज करा रहा था. यह मामला मध्य प्रदेश आधारित कमल स्पंज स्टील एंड पॉवर लिमिटेड (केएसएसपीएल) तथा अन्य से जुड़ा है जिसमें अदालत ने सीबीआइ द्वारा दायर क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया था और मुकदमे पर आगे बढ़ रही है.
सीबीआइ ने प्राथमिकी में आरोपियों केरूप में केएसएसपीएल, इसके निदेशकों, पवन, कमलजीत अहलूवालिया, प्रशांत अहलूवालिया, अमित गोयल और कुछ अज्ञात लोकसेवकों का नाम लिया था. इन पर कोयला ब्लॉक हासिल करने के लिए कथित तौर पर नेट वर्थ को बढ़ा-चढ़ा कर पेश करने सहित तथ्यों को गलत तरह से पेश करने का आरोप है.
अधिकारी ने अदालत को बताया कि जांच पूरी करने के बाद उन्होंने रिपोर्ट अपने वरिष्ठ अधिकारी को सौंप दी थी लेकिन ‘‘सक्षम प्राधिकार’ से मामले को बंद करने का अंतिम आदेश मिला.
सीबीआइ न्यायाधीश के यह पूछने पर कि ‘‘सक्षम प्राधिकार’ कौन है, क्लोजर रिपोर्ट दायर करने का आदेश किसने दिया था, डीएसपी संजय दुबे ने कहा, ‘‘रंजीत सिन्हा, तत्कालीन सीबीआइ निदेशक.’
सीबीआइ के निदेशक केरूप में अपने कार्यकाल के दौरान सिन्हा की अपने आवास पर कोयला ब्लॉक आवंटन के कुछ आरोपियों से कथित मुलाकात से उत्पन्न विवाद के चलते वह उच्चतम न्यायालय पहुंचे थे जिसने मामले को देखने के लिए एक समिति गठित कर दी थी.
एजेंसी के पूर्व विशेष निदेशक एमएल शर्मा के नेतृत्व वाली समिति शीर्ष अदालत को प्रारंभिक रिपोर्ट दे चुकी है और यह अब भी इन आरोपों में जांच कर रही है कि आरोपियों और अन्य के साथ सिन्हा की बैठकों से कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला मामले में जांच प्रभावित हुई.
अपनी गवाही के दौरान जांच अधिकारी ने कहा, ‘‘सभी आवश्यक जांच पूरी होने पर मैंने अपनी रिपोर्ट सीबीआइ में अपने वरिष्ठ अधिकारी को सौंप दी. हालांकि तत्कालीन सक्षम प्राधिकार से सभी आरोपियों के खिलाफ मामले में क्लोजर रिपोर्ट दायर करने का अंतिम आदेश मिला. तदनुसार, मैंने 27 मार्च 2014 को अदालत में क्लोजर रिपोर्ट के रूप में अंतिम रिपोर्ट दायर की.’ मामला केएसएसपीएल को मध्य प्रदेश में थेसगोरा-बी रुद्रपुरी कोयला ब्लॉक के आवंटन में कथित अनियमितताओं से जुड़ा है.
अदालत ने मध्य प्रदेश आधारित कंपनी और इसके प्रबंध निदेशक पवन कुमार अहलूवालिया, वरिष्ठ अधिकारी एवं चार्टर्ड एकाउंटेंट अमित गोयल, पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता तथा दो सरकारी अधिकारियों को आरोपी के रूप में तलब किया था.
आरोपी के रूप में जिन अन्य दो अधिकारियों को सम्मन जारी किया गया था, वे कोयला मंत्रालय के तत्कालीन सचिव केएस क्रोफा तथा एक इसके तत्कालीन निदेशक केसी समरिया थे.
ये आरोपी भादंसं की धारा-120-बी (आपराधिक साजिश) 420 (धोखाधड़ी), 409 (लोकसेवक द्वारा आपराधिक विश्वासघात) और भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के तहत कथित अपराधों के लिए मुकदमे का सामना कर रहे हैं.