नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने समलैंगिकता पर सुनाये गये फैसले के खिलाफ कानून मंत्री कपिल सिब्बल सहित कुछ केंद्रीय मंत्रियों की टिप्पणियों पर आज अप्रसन्नता व्यक्त करते हुये कहा कि ये अनुचित और अच्छे भाव में नहीं थीं. न्यायालय ने इसके साथ ही उन्हें भविष्य में ऐसा करने के प्रति आगाह किया है.
इन मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए दायर जनहित याचिका के साथ संलग्न बयानों के अवलोकन के बाद अप्रसन्न नजर आ रही प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि फैसले के खिलाफ की गयी टिप्पणियां सराहनीय नहीं हैं.
न्यायाधीशों ने कहा, हम सहमत हैं कि कुछ बयान तो अच्छे नहीं हैं. वे उच्च पदों पर हैं और उनके पास जिम्मेदारी है. उन्हें बयान देते समय सावधानी बरतनी चाहिए.कानून मंत्री कपिल सिब्बल, वित्त मंत्री पी चिदंबरम, राज्य मंत्री मिलिंद देवड़ा और जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की टिप्पणियों के अवलोकन के बाद न्यायाधीशों ने कहा, उन्होंने बहुत ही हल्के तरीके से बयान दिये हैं.
हम इसे अनुचित टिप्पणियां मानते हैं. न्यायाधीशों ने कहा कि वित्त मंत्री का बयान बहुत अधिक आपत्तिजनक नहीं है लेकिन अन्य लोगों की कुछ टिप्पणियां अच्छे भाव में नहीं थीं.
इसके बावजूद न्यायालय ने इन नेताओं के खिलाफ कोई भी आदेश देने से इंकार कर दिया. इन सभी नेताओं को इस मामले में व्यक्तिगत रूप से पक्षकार बनाया गया है. न्यायाधीशों ने कहा, अपनी अप्रसन्नता जाहिर करने के अलावा हम कुछ नहीं कर सकते हैं. हालांकि ये बयान सराहनीय नहीं है, हम याचिका पर विचार नहीं कर रहे हैं.
यह जनहित याचिका दिल्ली निवासी पुरुषोत्तम मुल्लोली ने दायर की थी. इसमें कथित रुप से अपमानजनक टिप्पणियां करने वाले मंत्रियों को हटाने का अनुरोध किया गया था.