नयी दिल्ली : तेजी से आधुनिक सुख सुविधाओं से लैस होती जा रही दुनिया की एक हकीकत यह भी है कि इसकी ढाई अरब आबादी अभी भी शौचालय जैसी बुनियादी सुविधा से वंचित है.
भारत की 2011 की जनगणना के दौरान एकत्र आंकड़ों के अनुसार देश में आधे से अधिक यानी 53 . 1 प्रतिशत घरों में शौचालय सुविधा नहीं है.
इस शोचनीय स्थिति से उबरने के लिए 12वीं पंचवर्षीय योजना में भारत सरकार ने ग्रामीण स्वच्छता को विशेष तरजीह देते हुए 2022 तक सभी ग्रामीण घरों को 100 प्रतिशत स्वच्छ (शौचालय बनाने) का लक्ष्य रखा है. लेकिन ऐसा करने के रास्ते में बड़ी संख्या में गांवों में पेय जल की अनुपलब्धता एक बड़ी बाधा बन कर सामने खड़ी है.
पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि निर्मल भारत अभियान के तहत यह लक्ष्य भी रखा गया है कि 2017 तक देश की 50 प्रतिशत ग्राम पंचायतों को निर्मल ग्राम यानी पेय जल की उपलब्धतता वाले गांव बना दिया जाएगा.
वर्ष 1999 में शुरु किए गए संपूर्ण स्वच्छता अभियान को उस समय बड़ा धक्का लगा जब यह तथ्य सामने आया कि अधिकतर निर्मल ग्राम पंचायतों में पेय जल तक उपलब्ध नहीं है और जल के बिना यह योजना आगे बढ़ नहीं सकती थी. इससे यह अहसास हुआ कि संपूर्ण स्वच्छता अभियान अकेले सफल नहीं हो सकता है इसके लिए इस योजना के साथ संबंधित गांवों को पेय जल से जोड़ना होगा.