न्यूयॉर्क/नयी दिल्लीः भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागडे की गिरफ्तारी और उनके कपड़े उतरवा कर तलाशी लेने के मुद्दे पर अमेरिका और भारत के बीच तनातनी कायम है. भारत अड़ा है कि अमेरिका बिना शर्त माफी मांगे, तो अमेरिका ने कहा है कि वह न माफी मांगेगा, न आरोप वापस लेगा. भारत के विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा है कि मामले का हल खोजने की कोशिशें जारी हैं.
इससे पहले अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता मारी हर्फ ने शुक्रवार को कहा कि देवयानी (39) पर ‘बेहद गंभीर’ आरोप हैं. यह कानून के पालन का मुद्दा है. हम किसी सूरत में पीछे नहीं हटेंगे. उन्हें संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में स्थानांतरित किये जाने के बाद उन्हें मिलनेवाली छूट ‘पिछले प्रभाव से लागू नहीं होगी’. यह पूछे जाने पर कि क्या देवयानी को छोड़ दिया जायेगा और कोर्ट से आरोपों को खारिज करने को कहा जायेगा, हर्फ ने कहा, ‘नहीं. हम ऐसे आरोपों को बेहद गंभीरता से लेते हैं.
अभियोग चलाया जाये या नहीं, यह हमारा फैसला नहीं है.’ उन्होंने कहा कि अमेरिका हर साल प्रत्येक ऐसे देश को, जहां उसके राजनयिक हैं, राजनयिक नोट के माध्यम से ‘उन दायित्वों के बारे में सूचित करता है, जिनका उन्हें अपने कर्मचारियों को अमेरिका लाने पर पालन करना होगा. इसलिए निश्चित रूप से, इस पर कोई चर्चा नहीं होने जा रही है. हम केवल चाहते हैं कि प्रक्रिया आगे बढ़े.’
खुर्शीद को फोन नहीं करेंगे केरी: हर्फ
हर्फ ने अमेरिकी सरकारी अभियोजक प्रीत भराड़ा के कथित बेहद सख्त बयान से विदेश मंत्रालय को अलग किये जाने से इनकार किया. उन्होंने विदेश मंत्री जॉन केरी द्वारा सलमान खुर्शीद को फोन किये जाने की खबर को भी खारिज किया. कहा कि खुर्शीद को केरी फोन नहीं करेंगे. केरी के फोन के बाद संबंधों में अचानक बढ़ा तनाव शांत होता दिख रहा था.
भारत के सभी आरोप ‘गलत’: नौकरानी संगीता रिचर्ड के ससुर के नयी दिल्ली में अमेरिकी दूतावास में काम करने की बात को हर्फ ने स्वीकार किया. कहा कि उसकी मौजूदा स्थिति की जानकारी उन्हें नहीं है. उन्हें एक अमेरिकी राजनयिक ने निजी स्तर पर नौकरी पर रखा था, अमेरिकी कर्मचारी के रूप में नहीं. हर्फ ने भारत के उन आरोपों को ‘बेहद गलत’ बताया, जिसमें कहा गया था कि अमेरिका ने उसके द्वारा भेजे गये पत्रों और बातचीत का कोई जवाब नहीं दिया.
छूट की प्रक्रिया: राजनयिक दज्रे में बदलाव से छूट की एक प्रक्रिया है. यह संयुक्त राष्ट्र सचिवालय को जाता है. फिर अमेरिकी विदेश विभाग के पास आता है, हर किसी को राजी होना होता है. उसके बाद यदि एक अलग राजनयिक दर्जा दिया जाता है, तो यह उस तारीख से प्रभावी होता है.
‘‘हमने भारत सरकार से अपील की है कि वह डॉ खोबरागडे की घरेलू नौकरानी के कथित आरोपों के बारे में अपनी जांच की रिपोर्ट हमें उपलब्ध कराये और चर्चा के लिए उसे उपलब्ध कराएं. मुझेनहीं लगता कि दोनों में से कुछ भी किया गया है."
मारी हर्फ, प्रवक्ता
विदेश विभाग, अमेरिका
भारत ने कहा
देवयानी खोबरागडे को संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में ट्रांसफर से उन्हें जरूरी राजनयिक छूट मिलेगी.
अमेरिका बोला
देवयानी को संयुक्त राष्ट्र में स्थानांतरित करने के संबंध में भारत सरकार से कोई अपील नहीं मिली है. उन्हें छूट नहीं मिलेगी.