चेन्नई/वेल्लूर : राजीव गांधी हत्याकांड को लेकर उम्रकैद की सजा काट रही नलिनी श्रीहरन अपने पिता की अंत्येष्टि में शामिल होने के बाद बुधवार शाम वेल्लूर जेल में वापस लौट आयी. उसे 12 घंटे का पैरोल दिया गया था. 25 साल की कैद के दौरान नलिनी को केवल दूसरी बार पैरोल दिया गया. 2004 में उसे अपने भाई की शादी में शामिल होने के लिए इसी तरह का पैरोल मिला था. नलिनी पुलिसकर्मियों के साथ नलिनी वेल्लूर केंद्रीय कारागार :महिला जेल: से कल सुबह छह बज कर 50 मिनट पर रवाना हुई और सुबह 10 बजे चेन्नई पहुंची. इसके बाद वह कोट्टूरपुरम में अपने पिता शंकर नारायणन के अंतिम संस्कार में शामिल हुई.
महिलाओं के जेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘वह वेल्लूर के लिए दोपहर तीन बजकर 25 मिनट पर निकली और शाम छह बजकर 45 मिनट पर जेल पहुंच गयी जिसके बाद उसे तत्काल उसकी कोठरी में बंद कर दिया गया.” 92 साल के शंकर नारायणन का मंगलवार को तिरुनेलवली जिले में निधन हो गया। वह पूर्व पुलिस निरीक्षक थे. उनका शव यहां कोट्टूरपुरम स्थित उनके बेटे के घर लाया गया था. कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने उसे अंतिम श्रद्धांजलि दी.
नलिनी के भाई भाग्यनाथन ने कहा कि उनकी बहन और दूसरे दोषियों ने जेल में 25 साल गुजारे हैं और वह सरकार से उन्हें रिहा करने का अनुरोध करते हैं. निचली अदालत ने राजीव गांधी हत्याकांड के सिलसिले में नलिनी को 28 जनवरी 1998 को मौत की सजा सुनाई थी. तमिलनाडु के राज्यपाल ने 24 अप्रैल 2000 को नलिनी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया.
पिछले साल 14 दिसंबर को नलिनी ने मद्रास उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर तमिलनाडु सरकार को समय से पहले उसकी रिहाई के लिए उसके अभ्यावेदन पर विचार करने का आदेश देने का अनुरोध किया था। उसका तर्क था कि वह 24 साल से अधिक सजा काट चुकी है.