नयी दिल्ली : अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल इंदिरा जयसिंह द्वारा उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ए के गांगुली पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली कानून की इंटर्न के हलफनामे का हिस्सा सार्वजनिक करने से पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग (डब्लूबीएचआरसी) के अध्यक्ष के तौर पर गांगुली के इस्तीफे की मांग फिर से उठने लगी है.
भारत के प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम द्वारा गठित न्यायाधीशों की तीन सदस्यीय समिति को दिये अपने हलफनामे में इंटर्न ने आरोप लगाया है कि न्यायमूर्ति गांगुली ने पिछले साल 24 दिसंबर को होटल के कमरे में उसका यौन उत्पीड़न किया था. इंटर्न ने विस्तार से उनके कथित व्यवहार के बारे में बताया है जब वह उन्हें काम में सहयोग के लिए वहां गयी हुई थी.
न्यायमूर्ति गांगुली ने आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है और डब्लूबीएचआरसी प्रमुख के पद से भी हटने से इनकार कर दिया है.शीर्ष अदालत की समिति ने पूर्व जज को इंटर्न के प्रति अवांछनीय व्यवहार और यौन प्रकृति के आचरण का दोषी पाया था जो उस समय उनके साथ बतौर इंटर्न काम कर रही थीं.
गांगुली अभी तक उनके खिलाफ लगाये गये सभी आरोपों से इनकार करते रहे हैं. उन्होंने साथ ही पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से भी इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है. जयसिंह ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर उन्हें आयोग के प्रमुख के पद से हटाये जाने की मांग की है.
कई महिला अधिकार कार्यकर्ताओं, भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं ने भी उन्हें पद से हटाये जाने की मांग की है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी दो बार राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को पत्र लिखकर पूर्व जज के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर चुकी हैं.
इंटर्न के बयान का हवाला देते हुए जयसिंह ने कहा है, न्यायमूर्ति ने मुझे बताया कि अगली सुबह में एआईएफएफ की रिपोर्ट पेश की जानी है और मुझे होटल में रहने तथा पूरी रात काम करने को कहा. मैंने इनकार कर दिया और कहा कि मैंने काम खत्म कर लिया है और पीजी में लौट गयी. एक बार तो न्यायाधीश रेड वाइन की बोतल लेकर आये. इंटर्न ने कहा, उन्होंने कहा कि दिन भर काम की वजह से मुझे उनके बेडरुम में जाना चाहिए और आराम करना चाहिए. इंटर्न ने कहा कि न्यायाधीश के सुझाव से वह बिल्कुल असहज और परेशान हो गयी.
न्यायाधीश ने उससे कहा, तुम बहुत खूबसूरत हो. इंटर्न ने कहा, मैं तुरंत अपनी सीट से उठ गयी और जैसे ही कुछ कहती उन्होंने मेरी बांह पकड़ ली और कहने लगे तुम तो जानती हो मैं तुमपर मोहित हूं. तुम भी हो न…? लेकिन मैं तुम्हें वाकई पसंद करता हूं. आई लव यू. जब मैंने जाने की कोशिश की तो वे बाहों को चूमने लगे और बार- बार कहने लगे वह मुझसे प्यार करते हैं. न्यायमूर्ति गांगुली पर इस्तीफे का दवाब बढता जा रहा है. विधि मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा है कि वह इसका इंतजार कर रहे हैं कि मुद्दे से उच्चतम न्यायालय कब निपटता है.
सेवानिवृत्त होने के कारण न्यायमूर्ति गांगुली के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने के उच्चतम न्यायालय के फैसले पर सवाल उठाने के बाद माइक्रोब्लागिंग साइट पर उनकी यह टिप्पणी आयी है.संसद में शुक्रवार को भाजपा और तृणमूल कांग्रेस ने न्यायमूर्ति गांगुली को पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से हटाने की मांग की थी.
समाजवादी पार्टी के नेता नरेश अग्रवाल ने कहा कि कानून सभी के लिए समान है. उन्होंने सवाल किया, न्यायाधीश के खिलाफ क्यों नहीं मामला दर्ज होना चाहिए ? अगर नेताओं और पत्रकारों के खिलाफ मामला दर्ज हो सकता है तो न्यायमूर्ति गांगुली के खिलाफ क्यों नहीं ? वर्ष 2011 में सत्ता में आने के बाद डब्लूबीएचआरसी के अध्यक्ष के तौर पर न्यायमूर्ति गांगुली का चयन करने वाली पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को दो बार पत्र लिखकर पूर्व न्यायाधीश के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग कर चुकी हैं.
भाकपा नेता डी राजा ने जोर देकर कहा कि न्यायमूर्ति गांगुली को संवैधानिक पद से हट जाना चाहिए. उन्होंने कहा, न्यायिक गरिमा को बहाल रखने और सार्वजनिक जीवन के मूल्यों को बरकरार रखना बेहतर होगा. मिस्टर गांगुली को हट जाना चाहिए.