नयी दिल्ली : पिछले महीने हुए भारत-दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट टेस्ट मैच के पर्यवेक्षक न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) मुकुल मुद्गल ने आज दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) की कार्यप्रणाली में कई खामियां गिनाईं और कहा कि यह चिंता का विषय है कि उन्हें ठीक करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए.
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डीडीसीए में कई गड़बड़ियां पायी गयी, लेकिन कार्रवाई नहीं की गयी : मुद्गल
नयी दिल्ली : पिछले महीने हुए भारत-दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट टेस्ट मैच के पर्यवेक्षक न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) मुकुल मुद्गल ने आज दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) की कार्यप्रणाली में कई खामियां गिनाईं और कहा कि यह चिंता का विषय है कि उन्हें ठीक करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए. न्यायमूर्ति मुद्गल ने 27 पन्नों […]
न्यायमूर्ति मुद्गल ने 27 पन्नों की रिपोर्ट दिल्ली उच्च न्यायालय के एक पीठ के समक्ष पेश की और कहा कि दिल्ली और जिला क्रिकेट एसोसिएशन (डीडीसीए) के पिछले आंतरिक ऑडिट में खामियों और वित्तीय अनियमितताओं को गिनाया गया था. पीठ में न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर और न्यायमूर्ति विभू बाखरु शामिल हैं.
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘काम देने वाली समिति की बैठक में कोई चर्चा नहीं हुई. रिकॉर्ड नहीं होने से पारदर्शिता बाधित हुई. पहले के मैचों के लिए अनुबंध, काम के आदेश से संबंधित रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं हैं.” उच्च न्यायालय ने पिछले वर्ष 18 नवम्बर को चौथा भारत-दक्षिण अफ्रीका मैच आयोजित करने का रास्ता साफ किया था और दक्षिणी एमसीडी द्वारा मैच आयोजित करने की अनुमति देने से इंकार करने के बाद मैच के मामलों को देखने के लिए न्यायमूर्ति मुद्गल को नियुक्त किया था.
टेस्ट मैच के दौरान उठाए गए कदमों पर प्रकाश डालते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि मैच की तैयारियों और डीडीसीए के कामकाज में 11 खामियां हैं. रिपोर्ट में न्यायमूर्ति मुद्गल ने कहा, ‘‘बजट तैयार करने, वार्षिक खाते को अंतिम रुप देने, वित्तीय मामलों पर सलाह देने में वित्त, अकाउंट शाखा शामिल है. (डीडीसीए की) अंदरुनी रिपोर्ट में खामियों, वित्तीय अनियमितताओं को इंगित किया गया.” उन्होंने कहा, ‘‘उठाए गए मुद्दों पर प्रबंधन और अकाउंट शाखा ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया जो चिंता का विषय है. जब तक सुधार के कदम नहीं उठाए जाते तब तक ये खामियां जारी रहेंगी.” रिपोर्ट का पर्यवेक्षण भारत के पूर्व डिप्टी कैग आई. पी. सिंह ने भी किया.
रिपोर्ट में अनुबंध प्रणाली, रिकॉर्ड रखे जाने, बिलों के भुगतान में विलंब, कारपोरेट बॉक्स के आवंटन और पैवेलियन का नामकरण, वित्त, अक्रिय उप समितियों, टिकट, प्रसारण, मीडिया और अनुमति आदि मामलों में खामियां गिनाई गई हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि फिरोज शाह कोटला स्टेडियम में डीडीसीए के कामकाज को आवंटित करते समय ‘‘पारदर्शिता नहीं” बरती गई.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है, ‘‘यह भी पाया गया कि उपर्युक्त कार्यों के लिए शुरु में दिए गए बिल ज्यादा थे. उपर्युक्त कार्यों के लिए राशि तय करने का आधार पूछने पर डीडीसीए के पदाधिकारियों ने बिलों में काफी कमी कर दी.” न्यायमूर्ति मुद्गल ने आगे कहा कि आंतरिक ऑडिटर की रिपोर्ट के मुताबिक अकाउंट विभाग में 5.56 करोड़ रुपये पड़े हुए हैं जिसे प्रबंधन से मंजूरी मिलनी है.
विस्तृत रिपोर्ट में उन्होंने कहा, ‘‘यह वित्त वर्ष 2014-15 (3.79 करोड़ रुपये) और 2012-13, 2013-14 (1.77 करोड़ रुपये) से संबंधित है. यह काफी अवांछनीय स्थिति है. वित्त वर्ष 2014-15 के लिए बैलेंस शीट को अभी अंतिम रुप नहीं दिया गया है.” इसमें कहा गया है, ‘‘यह स्पष्ट नहीं है कि वार्षिक अकाउंट में इन बकाया बिल को देनदारी के रुप में दिखाया गया है या नहीं क्योंकि इन बिल को प्रबंधन से मंजूरी नहीं मिली है.”
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