बेंगलुरु : विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने आज यह दावा करते हुए राजनीतिक दलों से मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति बंद करने का आह्वान किया कि इसका कोई अंत नहीं है और यह देश को नुकसान पहुंचा रहा है. उसने देश में समान जनसंख्या नीति की भी वकालत की और कहा कि मुस्लिम जनसंख्या हिंदुओं की तुलना में बहुत तेज गति से बढ़ रही है.
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विहिप ने राजनीतिक दलों से मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति बंद करने का आह्वान किया
बेंगलुरु : विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने आज यह दावा करते हुए राजनीतिक दलों से मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति बंद करने का आह्वान किया कि इसका कोई अंत नहीं है और यह देश को नुकसान पहुंचा रहा है. उसने देश में समान जनसंख्या नीति की भी वकालत की और कहा कि मुस्लिम जनसंख्या हिंदुओं की […]
विहिप के संयुक्त सचिव सुरेंद्र कुमार जैन ने राजनीतिक दलों से मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति बंद करने का आह्वान करते हुए कहा कि देश को नुकसान पहुंचा रही जो सबसे बड़ी समस्या है वह यह है कि यह कभी खत्म नहीं होने वाली है और तुष्टिकरण के दानव को बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं किया जा सकता.
वह यहां दो दिवसीय बजरंग दल अखिल भारत बैठक के समापन पर संवाददाताओं को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने भी समान जनसंख्या नीति के पक्ष में कहा है. उन्होंने कहा, ‘‘ मुसलमानों की टीएफआर (कुल प्रजनन दर) हर रोज बढ़ रही है. अब हिंदु बहुत गंभीर स्तर तक कम हो गए हैं, वे कुल जनसंख्या का 80 फीसदी से भी कम हो गए हैं. यह मनावैज्ञानिक निराशा है. ”
जैन ने मदरसों पर पाबंदी की मांग करते हुए कहा, ‘‘पाकिस्तान मदरसों पर रोक लगा रहा है. फ्रांस, जर्मनी और रुस जैसे देशों ने भी पाबंदी लगायी है. ऐसा कर यह इस्लाम के खिलाफ नहीं बल्कि जिहाद की प्रवृति के खिलाफ एक संघर्ष है. ” युवा युवतियों के आतंकवादी संगठन आईएसआईएस से जुड़ने की कोशिश की घटनाओं और आतंकवाद के साथ संबंध को लेकर मौलवियों की गिरफ्तारी की घटनाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि कुछ मदरसों में विद्यार्थियों को हथियार का प्रशिक्षण दिया जाता है जो एक खतरनाक प्रवृति है.
उन्होंने दावा किया कि मुस्लिम समुदाय के कुछ विशेष वर्गों में आक्रमकता बढ़ गयी है. लेकिन दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम जैसे लोग मुस्लिम समुदाय के सभी वर्गों में हैं जिनकी राष्ट्रभक्ति पर प्रश्न नहीं खड़ा किया जा सकता है. विहिप का आरोप सभी मुसलमानों पर नहीं है बल्कि उसके कुछ खास वर्गों पर है. उन्होंने कहा कि सहिष्णुता या असहिष्णुता का टैग राजनीतिक उद्देश्यों के लिए है जिसे तथाकथित धर्मनिरपेक्ष बुद्धिजीवियों इस्तेमाल करते हैं.
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