नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि 2जी घोटाले की जांच में कथित हस्तक्षेप करने के लिए सुब्रत राय के खिलाफ याचिका विचारयोग्य है. इससे निवेशकों का धन नहीं लौटाने के लिए अदालत के कोप का सामना कर रहे सहारा प्रमुख की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
न्यायमूर्ति जी.एस. सिंघवी और न्यायमूर्ति के.एस. राधाकृष्णन की पीठ ने राय और उनके समाचार चैनल में काम कर रहे दो कर्मचारियों को नोटिस जारी कर पूछा है कि उनके खिलाफ जांच क्यों न शुरु की जाये.न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय के जांच अधिकारी राजेश्वर सिंह की याचिका पर यह आदेश दिया. करोड़ों रपये के घोटाले की जांच कर रहे सिंह का आरोप है कि दो पत्रकारों. उपेंद्र राय और सुबोध जैन ने उन्हें धमकी दी और ब्लैकमेल किया.
राजेश्वर सिंह ने याचिका में 2जी स्पेक्ट्रम मामले की जांच में कथित रुप से हस्तक्षेप करने के लिए राय और दो पत्रकारों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की मांग की है. उच्चतम न्यायालय ने 6 मई, 2011 को कहा था कि प्रथम दृष्टया उसका विचार है कि सिंह द्वारा की गई जांच में हस्तक्षेप करने का प्रयास किया गया.न्यायालय ने सहारा इंडिया समाचार नेटवर्क और उसकी सहायक इकाइयों पर सुबोध जैन द्वारा प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी को भेजे गए 25 प्रश्नों के जवाब में सिंह से संबंधित किसी तरह का कार्यक्रम प्रकाशित या प्रसारित करने पर भी प्रतिबंध लगाया था.
जैन ने सिंह को 25 सवाल भेजकर उनसे उनपर जवाब मांगे थे. इनमें से कुछ प्रश्न निजी प्रकृति के थे. अदालत ने पाया कि यह सिंह को ब्लैकमेल करने का प्रयास था क्योंकि यह सहारा इंडिया प्रमुख को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा समन जारी करने के बाद किया गया था. निदेशालय ने 2जी घोटाले की जांच के संबंध में अपने समक्ष पेश होने के लिए सुब्रत राय को समन जारी किया था.