नयी दिल्ली : समुद्री रास्तों से हथियार लदे जहाजों की अनियंत्रित आवाजाही देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है. सालाना नौसेना दिवस संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए नौसेना प्रमुख एडमिरल डीके जोशी ने कहा कि आतंकवादियों की घुसपैठ समेत देश के लिए उसकी सुरक्षा के गंभीर परिणाम हो सकते हैं जिससे 26/11 की तरह के हमले हो सकते हैं. पोत सुरक्षा के नाम पर अनियंत्रित तरीके से हथियारबंद लड़ाकों की तैनाती पर लगाम लगाने को भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन से आग्रह के साथ ही हिंद महासागर के पड़ोसियों के साथ लामबंदी भी तेज की है.
उन्होंने समुद्री डकैती वाले इलाकों में सफर करने वाले व्यापारिक पोतों के लिए उच्च जोखिम के क्षेत्र बदलने का आग्रह किया और कहा कि इन क्षेत्रों में इस तरह के विस्तार से केरल तट के निकट इतालवी नाविकों के हाथों चार भारतीय मछुआरों की हत्या जैसी घटनाएं हुई हैं.
जोशी ने कहा, ‘हथियारों के तैरते जखीरे बहुत गंभीर चिंता का विषय है. यह पूरी तरह अनियमित है. आतंकवादियों की घुसपैठ समेत हमारे लिए इसके बहुत गंभीर सुरक्षा परिणाम हो सकते हैं.’
नौसेना प्रमुख से जब पूछा गया कि क्या हथियारों के अनियंत्रित तैरते जखीरों से 26/11 की तरह के हमले हो सकते हैं, उन्होंने कहा, ‘..अगर किसी पोत पर अनियंत्रित हथियार और गोला-बारूद हैं, हथियारों के वजूद का पता नहीं है और यह नहीं पता है कि प्रहरी उन्हें कहां ले जा रहे हैं तो यह किसी भी सरजमीन पर इस तरह के हालात तक ले जा सकता है.’
नौसेना प्रमुख तमिलनाडु में तूतीकोरिन तट के निकट हथियार ले जा रहे अमेरिका के पोत एमवी सीमैन गार्ड ओहायो की जब्ती की पृष्ठभूमि में इस मुद्दे पर बातें कर रहे थे. उन्होंने कहा कि सरकार को ‘कुछ देशों के लड़ाकों’ की मौजूदगी के बारे में भी रिपोर्ट मिली हैं ‘जो अस्थायी तौर पर इस तरह के रोजगार अपनाते हैं और निजी सशस्त्र प्रहरी तैयार करते हैं.’
जोशी से जब पूछा गया कि क्या उनका यह कहना है कि ये लड़ाके पाकिस्तान से हैं तो उन्होंने सीधे जवाब से परहेज किया और कहा, ‘मैं जो कह रहा हूं, वह कह रहा हूं.’