नयी दिल्ली: बढ़ती महंगाई, ईंधन की उंची लागत, शिक्षा पर बढ़ता खर्च तथा स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम देश के मध्यम वर्ग के परिवारों को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है. उद्योग मंडल एसोचैम के सर्वेक्षण के अनुसार पिछले तीन साल में परिवारों की बचत की दर में 40 फीसद की भारी गिरावट आई है.
एसोचैम के महासचिव डी एस रावत ने कहा, ‘‘मौजूदा कीमत स्तर पर गरीब परिवार खपत के स्तर को बरकरार नहीं रख पा रहे हैं, वहीं मध्यम वर्गीय परिवारों की खरीद क्षमता काफी तेजी से घट रही है. ऐसे में उनकी बचत घट रही है.’सर्वेक्षण में यह तथ्य सामने आया है कि परिवारों की वित्तीय देनदारियां बढ़ने की वजह से भारतीय की शुद्ध वित्तीय बचत घटी है. इसमें बैंकों और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के पास जमा, नकदी, शेयरों, डिबेंचरों तथा छोटे बचत उत्पाद शामिल हैं.
सर्वेक्षण में कहा गया है कि महानगरों में रहने वाले परिवार अपना खर्च घटा रहे हैं और पैसा बचाने का प्रयास कर रहे हैं. वे सिर्फ जरुरत का सामान ही खरीद रहे हैं. चार में से एक व्यक्ति ने कहा कि वे अपनी आमदनी बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं और इसके लिए अधिक वेतन पर नौकरी बदलने को भी तैयार हैं. या फिर ओवरटाइम कर रहे हैं.
महंगाई की मार से कंपनियों पर भी दबाव बढ़ा है. उंची उत्पादन लागत व वेतन बढ़ोतरी की मांग से कंपनियां दबाव में हैं. सर्वेक्षण में शामिल 82 फीसद लोगों ने कहा कि पिछले साल उनकी वेतनवृद्धि जीवनस्तर की लागत में बढ़ोतरी की तुलना में कम रही. जीवनस्तर की लागत इस दौरान 40 से 45 फीसद बढ़ी. ऐसे में वे अधिक वेतन की उम्मीद कर रहे थे.
बढ़ती महंगाई से निपटने के लिए ज्यादातर मध्यमवर्गीय और निचली आय वर्ग के परिवारों ने जहां तक संभव हुआ है, अपनी खपत कम की है. वे सस्ते उत्पाद खरीद रहे हैं तथा उन्होंने विवेकाधीन खर्च में कटौती की है.