नयी दिल्ली: सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने प्रेस एवं पुस्तक पंजीकरण तथा प्रकाशन (पीआरबी) कानून में संशोधन के अपने प्रस्ताव के बाबत इससे जुड़े सभी पक्षों से सुझाव मांगे हैं. पीआरबी कानून में संशोधन से ‘पेड न्यूज’ छापने वाले प्रकाशन का पंजीकरण रद्द कर दिया जाएगा.
यहां एक बयान में मंत्रलय ने कहा कि 1867 का पीआरबी कानून एक ऐसी व्यवस्था बनाने के लिए लागू किया गया था, जिससे प्रिंटिंग प्रेसों और अखबारों के विनियमन के जरिए प्रकाशनों का एक लेखाजोखा रखा जा सके और मौजूदा हालात में इस कानून को प्रासंगिक बनाने के लिए प्रेस एवं पुस्तक पंजीकरण तथा प्रकाशन :पीआरबीपी: विधेयक, 2011 संसद में 16 दिसंबर 2011 को पेश किया गया था. इस विधेयक को फिर सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी स्थायी समिति के हवाले किया गया.मंत्रालय ने कहा कि स्थायी समिति ने 20 दिसंबर 2012 को संसद को अपनी रिपोर्ट सौंपी.
इस विधेयक पर विभिन्न पक्षों से 19 नवंबर तक सुझाव मांगे गए हैं. प्रेस एवं पुस्तक पंजीकरण तथा प्रकाशन (पीआरबीपी) विधेयक, 2013 के मसौदे में बताया गया है कि ‘पेड न्यूज’ किसे माना जाएगा. मसौदे में दी गयी परिभाषा के मुताबिक, ‘‘पेड न्यूज का मतलब प्रकाशन में किसी ऐसी खबर या विश्लेषण को प्रकाशित करना है जिसकी एवज में नकद धनराशि दी गयी हो या किसी अन्य तरीके से फायदा पहुंचाया गया हो.’’
विधेयक के मसौदे में यह भी बताया गया है कि यदि कोई प्रकाशन ‘पेड न्यूज’ छापता है तो उसके खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी. मसौदे के मुताबिक, ‘पेड न्यूज’ छापने के दोषी पाए जाने पर कानून के तहत प्रकाशन द्वारा की गयी घोषणा के साथ-साथ प्रेस महापंजीयक की ओर से जारी पंजीकरण प्रमाण-पत्र रद्द कर दिया जाएगा.