बेंगलूर : भारत के मंगलयान में आयी तकनीकी खराबी को दूर कर लिया गया है और अभियान अपनी सफलता की ओर आगे बढ़ने लगी है. इसकी जानकारी इसरो के अधिकारियों ने दी. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ‘मार्स ऑर्बिटर अंतरिक्ष यान’ को कक्षा में आगे बढ़ाने के लिए चलाए गए चौथे अभियान के लक्ष्य को पूरी तरह से प्राप्त करने में आज नाकाम हो गया, लेकिन ‘लाल ग्रह’ के लिए इस महात्वाकांक्षी परियोजना को लेकर चिंता करने की कोई बात नहीं कही गई है.
पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकलने की तीन सफल प्रक्रियाओं के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के मार्स ऑर्बिटर अंतरिक्ष यान अभियान में कल देर रात उस समय बाधा उत्पन्न हो गई थी जब यान चौथी प्रक्रिया के दौरान एक लाख किलोमीटर के दूरस्थ बिंदू के लक्ष्य को हासिल करने में असफल रहा.
हालांकि इसरो ने स्पष्ट किया कि मंगलयान ‘सामान्य’ है और एक लाख किलोमीटर के निकट के दूरस्थ बिंदू के लक्ष्य को हासिल करने के लिए कल सुबह पांच बजे यान को कक्षा से बाहर निकालने की एक पूरक प्रक्रिया करने की योजना बनाई गई है.
इस प्रक्रिया के तहत 71, 623 किलोमीटर से एक लाख किलोमीटर की दूरी तय करने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन यह 35 मीटर प्रति सेकेंड की वेग से सिर्फ 78, 276 किलोमीटर की दूरी तय कर सका जबकि इसे 130 मीटर प्रति सेकेंड की वेग से आगे बढ़ाने की योजना थी. इसरो के प्रवक्ता ने यहां पीटीआई को बताया, ‘‘अंतरिक्ष यान अपनी सामान्य स्थिति में है. चिंता की कोई बात नहीं है. प्रणाली में कोई समस्या नहीं है. मंगल अभियान 100 फीसदी सुरक्षित है.’’