कोलंबो : श्रीलंका ने आज कहा कि राष्ट्रमंडल देश के शासन प्रमुखों की बैठक (चोगम) में भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के शरीक नहीं होने का फैसला कोई झटका नहीं है और इस कदम के पीछे देश में मौजूद कुछ राजनीतिक मजबूरी को वह समझता है.
श्रीलंका के विदेश मामलों के मंत्री जीएल पेइरिस ने कहा, ‘‘इससे चोगम की सफलता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.’’ गौरतलब है कि सिंह ने श्रीलंकाई राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को एक पत्र लिखकर कहा है कि वह 15 नवंबर से सम्मेलन में व्यक्तिगत रुप से शामिल होने में असमर्थ होंगे. पेइरिस ने कहा, ‘‘भारतीय प्रधानमंत्री को आमंत्रित किया गया था. यदि वह आते तो श्रीलंका को खुशी होती.’’ पेइरिस ने कहा कि श्रीलंका राजनीतिक मजबूरी को समझता है जिसके चलते भारतीय प्रधानमंत्री को इस तरह का फैसला लेने के लिए मजबूर होना पड़ा.
इसबीच, भारतीय उच्चायोग ने इस बात की पुष्टि की है कि राजपक्षे को संबोधित सिंह का पत्र राष्ट्रपति कार्यालय को मिल गया है. प्रधानमंत्री ने तमिलनाडु की पार्टियों और कांग्रेस के एक धड़े के सख्त विरोध के मद्देनजर यात्र नहीं करने का फैसला किया. विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद अब 15-16 नवंबर को चोगम में भारतीय शिष्टमंडल का नेतृत्व करेंगे. कनाडा के प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर के बाद अब सिंह इस बैठक से दूर रहने वाले दूसरे प्रधानमंत्री हो गए हैं.