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…और जब नेहरु ने कह दिया पटेल को सांप्रदायिक

नयी दिल्ली : सरदार पटेल को लेकर नया विवाद खड़ा करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने आज एक किताब के हवाले से पंडित जवाहरलाल नेहरु पर आरोप लगाया कि आजादी के बाद देश के पहले गृह मंत्री की ओर से भारत में हैदराबाद के विलय के लिए सेना भेजने का सुझाव दिए […]

नयी दिल्ली : सरदार पटेल को लेकर नया विवाद खड़ा करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने आज एक किताब के हवाले से पंडित जवाहरलाल नेहरु पर आरोप लगाया कि आजादी के बाद देश के पहले गृह मंत्री की ओर से भारत में हैदराबाद के विलय के लिए सेना भेजने का सुझाव दिए जाने पर प्रथम प्रधानमंत्री ने उन्हें ‘पूर्णयत: साम्प्रदायिक’ व्यक्ति कहा था.

आडवाणी ने अपने ब्लॉग की नई पोस्टिंग में एम. के. के. नायर की पुस्तक ‘द स्टोरी ऑफ एन एरा टोल्ड विदआउट इल विल’’ का उद्धरण दिया. इस किताब में हैदराबाद के खिलाफ ‘पुलिस कार्रवाई’ से पहले हुई कैबिनेट की बैठक में नेहरु और पटेल के बीच हुए ‘तीखे वार्तालाप’ का जिक्र किया गया है. यह पुस्तक मलयालम में लिखी गई थी और इन दिनों इसका अंग्रेजी में अनुवाद हो रहा है. हैदराबाद का निजाम पाकिस्तान में शामिल होना चाहता था और उसने पड़ोसी देश में एक दूत भी भेजा था तथा उसने वहां की सरकार को काफी धन हस्तांतरित किया था. निजाम के अधिकारी स्थानीय लोगों पर कथित रुप से अत्याचार कर रहे थे.

आडवाणी ने नायर की किताब के हवाले से लिखा, ‘‘ कैबिनेट की एक बैठक में पटेल ने इन बातों के बारे में बताया और मांग की कि हैदराबाद के आतंक भरे शासन को समाप्त करने के लिए सेना भेजी जाए. आम तौर पर विनम्रता और शिष्टाचार के साथ बात करने वाले नेहरु ने आपा खोते हुए कहा था, ‘‘ आप पूरी तरह से साम्प्रदायिक हैं. मैं आपकी सिफारिश को कभी नहीं मानूंगा.’’ आडवाणी ने अपने ब्लॉग में कहा, ‘‘ पटेल इससे विचलित नहीं हुए बल्कि वह अपने कागजात लेकर कमरे से चले गए.’’ भाजपा पिछले कुछ समय से यह साबित करने की कोशिश कर रही है कि सरदार पटेल ऐसे नेता थे जो हिंदुत्व विचारधारा के निकट थे.

आडवाणी ने 31 अक्तूबर को पटेल की 138वीं बरसी पर दुनिया में सबसे उंची 182 मीटर की उनकी प्रतिमा बनाने की परियोजना के उद्घाटन के मौके पर देश के इस पहले गृहमंत्री की प्रशंसा की थी. इस परियोजना को शुरु करने वाले गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत को लोगों को एक करने वाली पटेल की धर्मनिरपेक्षता की जरुरत है न कि इन दिनों प्रचलित ‘‘वोटबैंक धर्मनिरपेक्षता’’ की.

आडवाणी और मोदी दोनों ने खुद को पटेल की विरासत को आगे ले जाने वाले नेता के तौर पर प्रदर्शित करने की कोशिश की है. भाजपा ने यह भी आरोप लगाया है कि कांग्रेस ने कभी पटेल के योगदान की प्रशंसा नहीं की और उसने केवल नेहरु-गांधी परिवार की सराहना की है. आडवाणी ने अपने ब्लॉग में नायर की पुस्तक के हवाले से कहा कि कश्मीर मुद्दे की तरह ही नेहरु हैदराबाद मामले को भी संयुक्त राष्ट्र ले जाना चाहते थे.

भाजपा नेता के अनुसार सेना भेजे जाने की पटेल की सलाह को अस्वीकार कर दिए जाने पर तत्कालीन गर्वनर जनरल राजाजी ने हैदराबाद में सेना भेजने के लिए नेहरु को मनाया. राजाजी ने हालात लगातार बिगड़ते जाने पर इस मसले पर चर्चा के लिए नेहरु और पटेल को राष्ट्रपति भवन बुलाया. इस बीच सेना को युद्ध के लिए तैयार रखा गया था. राजाजी ने उस बैठक के दौरान ब्रिटिश उच्चायुक्त के एक पत्र का भी इस्तेमाल किया जिसमें हैदराबाद में रजाकारों द्वारा दो दिन पहले एक कान्वेंट की 70 वर्षीय नन का बलात्कार करने की घटना पर विरोध जताया गया था.

पटेल के निकट सहयोगी वी पी मेनन ने बैठक के पहले राजाजी को यह पत्र दिया था. आडवाणी ने किताब के हवाले से कहा, ‘‘ राजाजी ने अपने खास अंदाज में हैदराबाद में स्थिति का वर्णन किया. उन्हें लगा कि भारत की प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए इस मामले पर निर्णय लेने में और देरी नहीं की जानी चाहिए लेकिन नेहरु अंतरराष्ट्रीय परिणामों को लेकर चिंतित थे. तब राजाजी ने तुरप का पत्ता फेंकते हुए ब्रिटिश उच्चायुक्त का पत्र दिखाया.’’

उन्होंने कहा, ‘‘ नेहरु ने पत्र पढा. उनका चेहरा लाल हो गया. गुस्से के चलते उनके (मुख से)शब्द नहीं निकल रहे थे. वह अपनी कुर्सी से उठे, अपनी मुट्ठी को मेज पर मारा और चिल्लाए,‘‘ हमें एक क्षण भी व्यर्थ नहीं करना चाहिए. हम उन्हें सबक सिखाएंगे.’’ आडवाणी ने पुस्तक के हवाले से कहा, ‘‘ राजाजी ने तत्काल मेनन से कहा कि वह योजना के अनुसार कार्य करने के लिए कमांडर इन चीफ को सूचित करें.’

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