नयी दिल्ली : अपनी साफ छवि के लिए जाने जाने वाले और दिल्ली विधानसभा चुनावों में मुख्यमंत्री पद के लिए भाजपा उम्मीदवार हर्षवर्धन के सामने सबसे बड़ी चुनौती खेमे में बंटी भाजपा को एकजुट करने की होगी.
मुख्यमंत्री पद के लिए भाजपा उम्मीदवार को लेकर पार्टी के भीतर काफी खींचतान के बाद हर्षवर्धन के नाम की घोषणा की गई. इस खींचतान के कारण राजधानी में 15 वर्षों बाद सत्ता पर काबिज होने की पार्टी की मुहिम के पटरी से उतरने का खतरा मंडराने लगा था.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य हर्षवर्धन को बचपन से ही उनकी सादगी के लिए जाना जाता है. भाजपा के शीर्ष नेतृत्व का मानना है कि लगातार तीन बार पार्टी की हार के बाद हर्षवर्धन चार दिसंबर को होने वाले चुनावों में इस बार पार्टी का भाग्य बदलने की क्षमता रखते हैं. हर्षवर्धन दिल्ली में भाजपा की सरकार के दौरान 1993 से 1998 तक स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं.