सुप्रीम कोर्ट से सवाल : गोडसे का भाई रिहा हो सकता है तो राजीव गांधी के हत्यारे क्यों नहीं

नयी दिल्ली : तमिलनाडु सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सवाल किया कि यदि महात्मा गांधी हत्याकांड में गोडसे के भाई को रिहा किया जा सकता है, तो राजीव गांधी के हत्यारों के लिए दरवाजे क्यों बंद करने चाहिए. प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्तू की अध्यक्षतावाले पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष तमिलनाडु सरकार की […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 7, 2015 8:47 AM

नयी दिल्ली : तमिलनाडु सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सवाल किया कि यदि महात्मा गांधी हत्याकांड में गोडसे के भाई को रिहा किया जा सकता है, तो राजीव गांधी के हत्यारों के लिए दरवाजे क्यों बंद करने चाहिए. प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्तू की अध्यक्षतावाले पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष तमिलनाडु सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने तर्क दिया कि काफी समय पहले इस न्यायालय से बहुत दूर नहीं, एक वयोवृद्ध व्यक्ति स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय था. इसके बावजूद कुछ लोगों ने उसकी हत्या करने का निश्चय किया और वह व्यक्ति महात्मा गांधी था.

इस मामले में षड्यंत्रकारी गोपाल विनायक गोडसे को 16 साल बाद रिहा कर दिया गया था. किसी ने उस पर सवाल नहीं उठाया., तो फिर इन व्यक्तियों (राजीव गांधी हत्याकांड के सात दोषी) को क्यों नहीं. गोडसे को इस मामले में अक्तूबर, 1964 में रिहा किया गया था, जबकि एक अन्य मामले में वह फिर गिरफ्तार हुआ और अंतत: 1965 में जेल से रिहा हुआ.द्विवेदी ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन की हत्या के मामले का भी हवाला दिया, जिसमें आठ दोषियों में से चार को फांसी दी गयी, जबकि एक दोषी की जेल में मृत्यु हो गयी और तीन अन्य को माफी दे दी गयी थी.

उन्होंने कहा, यह दु:खद है कि इन नेताओं की हत्या की गयी. मैं कह रहा हूं कि दरवाजा खुला रखा जाये. हमें दरवाजे बंद नहीं करने चाहिए और लंबा समय बीत जाने के बाद आज इन दोषियों को जेल में क्यों रखते हैं. द्विवेदी ने स्पष्ट किया किया कि मैं इन दोषियों के कृत्य का बचाव नहीं कर रहा हूं.

उन्होंने कहा कि राजीव गांधी हत्याकांड का मुख्य षड्यंत्रकारी वेलुपिल्लई प्रभाकरण था, जिसे कभी भी भारत की अदालत में नहीं लाया गया. हालांकि यह अलग बात है और सभी को पता है कि बाद में उसके समूचे परिवार का खात्मा कर दिया गया और उसके नाबालिग बच्चे को भी नहीं बख्शा गया. इन सातों दोषियों को जेल से रिहा करने की वकालत करते हुए उन्होंने कहा कि जाफना के तमिल और भारतीय तमिलों के बीच बहुत पुराने संबंध हैं.

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