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मुस्लिमों को महज वोट बैंक समझते हैं राजनीतिक दल

औरंगाबाद: जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर मुशिरिल हसन ने आज यहां कहा कि मुस्लिम समुदाय को सभी राजनीतिक दल महज वोट बैंक समझते हैं और यही वजह है कि वह सभी क्षेत्रों में पीछे है. बाबा साहेब अंबेडकर विश्वविद्यालय के राजनीतिक विज्ञान संकाय और सेंटर फॉर प्रोमोशन ऑफ डेमोक्रेसी एण्ड सेकुलरिज्म, मौलाना आजाद […]

औरंगाबाद: जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर मुशिरिल हसन ने आज यहां कहा कि मुस्लिम समुदाय को सभी राजनीतिक दल महज वोट बैंक समझते हैं और यही वजह है कि वह सभी क्षेत्रों में पीछे है.

बाबा साहेब अंबेडकर विश्वविद्यालय के राजनीतिक विज्ञान संकाय और सेंटर फॉर प्रोमोशन ऑफ डेमोक्रेसी एण्ड सेकुलरिज्म, मौलाना आजाद चेयर की ओर से ‘भारतीय मुस्लिम समुदाय की व्याधि’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय गोष्ठी में उन्होंने यह बातें कहीं.डॉक्टर हसन ने कहा कि राजनीतिक दलों द्वारा किए गए वादे कभी पूरे नहीं होते हैं. मुसलमानों को एक इकाई समझा जाता है लेकिन उनमें भी जाति, मत और समुदाय के भेद हैं. उन्होंने कहा कि सच्चर समिति ने यह कहा है कि मुसलमानों की हालत अनुसूचित जाति और जनजातियों से भी ज्यादा दयनीय है लेकिन राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी के कारण उनकी बेहतरी के लिए कोई योजना नही बनायी गई है.

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