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संसदीय कार्यवाही के नियम नहीं मानते सांसद

नयी दिल्ली : संसद का तीन महीने तक चला बजट सत्र निर्धारित समय से दो दिन पूर्व ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया. इस दौरान विभिन्न मुद्दों को लेकर हंगामे के कारण संसद का बहुमूल्य समय नष्ट हुआ. लोकसभा और राज्यसभा में सदस्यों के आचरण और व्यवहार संबंधी एक विशेष निर्देशिका है, जिसका सदस्यों […]

नयी दिल्ली : संसद का तीन महीने तक चला बजट सत्र निर्धारित समय से दो दिन पूर्व ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया. इस दौरान विभिन्न मुद्दों को लेकर हंगामे के कारण संसद का बहुमूल्य समय नष्ट हुआ.

लोकसभा और राज्यसभा में सदस्यों के आचरण और व्यवहार संबंधी एक विशेष निर्देशिका है, जिसका सदस्यों को पालन करना होता है. इस निर्देशिका का सबसे पहला ही नियम कहता है, कार्यवाही की गरिमा और गंभीरता को दृष्टि में रखते हुए किसी भी सदस्य को किसी भी प्रकार का नारा नहीं लगाना चाहिए और सदन के मध्यस्थल यानी आसन के समक्ष धरना नहीं देना चाहिए.

दो चरणों में चले संसद के इस बजट सत्र में ये नियम जमकर टूटे. पहले चरण में ही तेलंगाना राष्ट्र समिति की विजयाशांति अलग तेलंगाना राष्ट्र के मुद्दे को लेकर आसन के समक्ष धरना देकर बैठ गयी थीं. 22 अप्रैल से शुरु हुए बजट सत्र के दूसरे चरण में मुख्य विपक्षी दल भाजपा, अकाली दल, अन्नाद्रमुक, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और वाम दलों के सदस्यों ने विभिन्न मुद्दों को लेकर जबर्दस्त हंगामा और नारेबाजी की.

गौरतलब है कि कोयला ब्लाक आवंटन, सीबीआई रिपोर्ट में हस्तक्षेप, रेलवे रिश्वत जैसे मामलों को लेकर प्रधानमंत्री, विधि मंत्री और रेल मंत्री के इस्तीफे की मांग पर अड़ी भाजपा के सदस्यों ने बजट सत्र के दूसरे चरण में जमकर हंगामा और नारेबाजी की.

वाम दलों ने भी भाजपा की मांग से सहमति जताते हुए आसन के समक्ष आकर नारे लगाए. हंगामे के कारण इस चरण में लोकसभा का 92 घंटे से अधिक समय और राज्यसभा का भी 82 घंटे से अधिक कामकाजी समय बर्बाद हुआ.

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