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शक के कारण सुशील शर्मा ने की थी पत्नी नैना की हत्या

-सुशील शर्मा की फांसी आजीवन कारावास में तब्दील- नयी दिल्ली : देश को दहला देने वाले मामले में अपनी पत्नी की हत्या कर उसके शव को तंदूर में जला देने के अपराध के कारण मृत्युदंड पाये युवक कांगे्रस के पूर्व नेता सुशील शर्मा की सजा को उच्चतम न्यायालय ने घटना के 18 साल बाद आज […]

-सुशील शर्मा की फांसी आजीवन कारावास में तब्दील-

नयी दिल्ली : देश को दहला देने वाले मामले में अपनी पत्नी की हत्या कर उसके शव को तंदूर में जला देने के अपराध के कारण मृत्युदंड पाये युवक कांगे्रस के पूर्व नेता सुशील शर्मा की सजा को उच्चतम न्यायालय ने घटना के 18 साल बाद आज घटाकर आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया.

शीर्ष न्यायालय ने उसे कम सजा इसलिए दी है क्योंकि इस मामले से पहले उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं रहा है तथा हत्या बिगड़े हुए निजी रिश्तों के कारण की गयी थी.

शर्मा को राहत प्रदान करते हुए पीठ ने ध्यान दिलाया कि शर्मा के खिलाफ किसी परिजन ने गवाही नहीं दी थी तथा उसे अपनी पत्नी की मौत पर काफी पश्चाताप था. साथ ही उसे समाज के लिए खतरा नहीं माना जा सकता.शर्मा ने विवाहेत्तर संबंधों की आशंका के चलते अपनी पत्नी नैना सहानी की हत्या कर दी थी. उसने महिला के शव को टुकड़ों में काटकर उसे तत्कालीन सरकारी स्वामित्व वाले होटल अशोक यात्री निवास के तंदूर में जला दिया.

प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई अदालत द्वारा उसे मौत की सजा सुनाये जाने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को मंजूर कर लिया. दिल्ली उच्च न्यायालय ने बाद में सुनवाई अदालत के फैसले को सही ठहराया.

यह नृशंस हत्या 1995 में 2-3 जुलाई के बीच की रात में हुई थी और इससे पूरा देश दहल गया था.पीठ ने कहा कि कैद पूरे जीवन के लिए रहेगी. लेकिन समुचित प्रक्रिया के बाद इसे घटाया भी जा सकेगा.शर्मा ने अपनी याचिका में कहा कि उसे पूरी तरह परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के कारण दोषी ठहराया गया है लिहाजा उसे मृत्युदंड नहीं दिया जा सकता.

वर्ष 2007 में दाखिल याचिका में उसने दावा किया कि उच्च न्यायालय ने त्रुटिपूर्ण ढंग से यह निष्कर्ष निकाला कि उसके द्वारा किया गया अपराध दुर्लभतम श्रेणी का है जिसमें मृत्युदंड दिया जाता है.

उच्च न्यायालय ने 19 फरवरी 2007 को उसके मृत्युदंड की पुष्टि करते हुए कहा कि अपराध एक बेहद दुराचार भरा आचरण है जिससे समाज को धक्का लगा है.

उसने कहा था कि शर्मा को दोषी ठहराने और मृत्युदंड सुनाने के लिए सुनवाई अदालत ने जो कारण दिये हैं, वे उचित हैं तथा इस जघन्य हत्या के लिए वह किसी तरह की दया का पात्र नहीं है.

उच्च न्यायालय ने मृत्युदंड को आजीवन कारावास में परिवर्तित करने के शर्मा के अनुरोध को खारिज कर दिया था.सुनवाई अदालत ने शर्मा को उसी पत्नी की मध्य दिल्ली के गोल मार्केट स्थित उनके निवास पर हत्या करने के आरोप में सात नंवबर 2003 को मौत की सजा सुनायी थी.

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