नयी दिल्ली : सात साल पहले मुंबई में हुए 26/11 के आतंकी हमले को खुफिया विभाग की सबसे बड़ी नाकामी मानी गई थी. इस नाकामी को दूर करने का प्रयास करते हुए अब देश की प्रमुख आंतरिक खुफिया सुरक्षा एजेंसी इंटेलीजेंस ब्यूरो (आइबी) ने ऐसी चूक दुबारा न हो इसके लिए बेहतर कदम उठाने का निर्णय लिया है. इसी कड़ी में आइबी में विभिन्न तकनीक व विधाओं के जानकार युवाओं को शामिल किया जा रहा है.
टाइम्स ऑफ इंडिया मेंछपी खबर के मुताबिकअब आइबी में उच्च शिक्षा प्राप्त एमबीए, वकील, आइटी विशेषज्ञ, इंजीनियर्स, अकांउटेंट्स, डॉक्टर व फार्मा इंजीनियर्स के युवा लड़के-लड़कियां खुफिया विभाग में बतौर जासूस शामिल हो रहे हैं. इनकी उम्र 18-27 वर्ष के बीच है. नागालैंड, मणिपुर, तेलंगाना, महाराष्ट्र, दिल्ली, कर्नाटक, जम्मू-कश्मीर के साथ देश के अन्य राज्यों के युवा इसके लिए आगे आ रहे हैं. इतना ही नहीं, अल्पसंख्यक समुदायों केयुवाओं नेभी इसमें शामिल होने के लिए इच्छा दिखाई है. हालांकि, अभी भी आइबी में अधिकारियों की संख्या काफी कम है.
आइबी में स्वीकृत 26 हजार 867 पदों पर महज 18 हजार 795 कर्मचारी ही काम कर रहे हैं. इनमें से कई युवा अच्छे वेतन की नौकरी छोड़कर आइबी में अधिकारी बनना चाहते हैं क्योंकि उन्हें यह कार्य अधिक चुनौतीपूर्ण और रोचक लगता है. खबर के मुताबिक एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि एक युवा लड़के ने खुफिया अधिकारी बनने के लिए 1.5 लाख रुपये महीने की नौकरी छोड़ दी. अधिकारी के मुताबिक युवा वर्ग के ये जासूस लड़के व लड़कियां आइबी में सहायक सेंट्रल इंटेलीजेंस ऑफिसर ग्रेड टू के पद पर शामिल हो रहे हैं, जिसे पुलिस में सब इंस्पेक्टर के बराबर का पद माना जाता है.