नयी दिल्ली : सांसदों और विधायकों को लेकर उच्चतम न्यायालय के फैसले को पलटने के लिए विवादास्पद अध्यादेश लाने पर प्रमुख राजनीतिक दलों द्वारा सवाल उठाये जाने के बीच राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गृह मंत्री सुशील कुमार शिन्दे और कानून मंत्री कपिल सिब्बल को इस मुद्दे पर विचार विमर्श के लिए बुलाया है. लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में भाजपा के एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति से मुलाकात कर मांग की थी कि वह या तो अध्यादेश को नामंजूर कर दें या फिर इसे पुनर्विचार के लिए सरकार को वापस भेज दें.
भाजपा का कहना है कि उच्चतम न्यायालय के फैसले को पलटने के लिए लाये गये अध्यादेश को मंजूरी देने के लिए राष्ट्रपति बाध्य नहीं हैं. कैबिनेट ने अध्यादेश को मंगलवार को मंजूरी दी है. उसके बाद से न सिर्फ राजनीतिक दल बल्कि सिविल सोसाइटी के लोग भी सरकार की आलोचना कर रहे हैं. उनका कहना है कि सरकार दोषी ठहराये गये सांसदों और विधायकों को बचाने की कोशिश कर रही है. अध्यादेश को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा गया है. यह अध्यादेश उन सांसदों और विधायकों को राहत देता है, जो दो साल या इससे अधिक सजा वाले किसी आपराधिक मामले में दोषी करार दिये जाने पर तत्काल अयोग्य घोषित हो सकते थे.
उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि यदि किसी सांसद या विधायक को कोई अदालत ऐसे अपराधों के लिए दोषी ठहराती है, जिनमें दो साल या उससे अधिक की सजा का प्रावधान है तो ऐसे सांसद या विधायक तत्काल अयोग्य हो जाएंगे. सरकार ने फैसले की समीक्षा के लिए एक याचिका शीर्ष अदालत में इस महीने की शुरुआत में दाखिल की थी, जिसे उच्चतम न्यायालय ने नामंजूर कर दिया था.