नयी दिल्ली : दागी सांसदों एवं विधायकों के संरक्षण के मुद्दे से जुड़े अध्यादेश को मंजूरी नहीं देने के बारे में भाजपा नेता सुषमा स्वराज के आग्रह पर निशाना साधते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने आज कहा कि कानून की वैधानिकता की जांच अदालतें करती है, विपक्षी पार्टी नहीं. सुषमा ने राष्ट्रपति से दागी सांसदों एवं विधायकों को संरक्षण प्रदान करने से जुड़े अध्यादेश पर हस्ताक्षर नहीं करने का आग्रह किया था.
दागी सांसदों-विधायकों को राहत, सजा के बाद भी रहेगी सदस्यता
लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज को संबोधित पोस्ट में तिवारी ने कहा, ‘‘जहां तक कानून की वैधानिकता या अन्य पहलू की बात है, तो इनकी परख संवैधानिक अदालतों में होती है, भाजपा के यहां नहीं.’’उन्होंने कहा, ‘‘बिना मांगे सलाह की न तो सराहना होती है और न ही इन्हें गंभीरता से लिया जाता है. कानूनी पेशे में यह पहला सिद्धांत है. विपक्ष की नेता की सलाह, हास्यापद और आश्चर्यजनक है.’’
सुषमा स्वराज ने अपने ट्वीट में कहा था कि उनकी पार्टी दागी सांसदों से जुड़े केंद्रीय मंत्रिमंडल के अध्यादेश का विरोध करेगी.उन्होंने कहा था, ‘‘हम राष्ट्रपति से आग्रह करते हैं कि वे इस पर हस्ताक्षर नहीं करें. राष्ट्रपति ऐसे अध्यादेश पर हस्ताक्षर करने के लिए बाध्य नहीं है जो असंवैधानिक हो.’’ उच्चतम न्यायालय ने 10 जुलाई को कहा था कि कोई भी सांसद, विधायक या विधान पार्षद जिसे किसी अपराध के लिए दो वर्ष या उससे अधिक की सजा सुनाई गई हो, उसे तत्काल अयोग्य ठहराया जायेगा.