नयी दिल्ली: अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी (आप) की सदस्यता जानेमाने कार्यकर्ता योगेंद्र यादव को महंगी पड़ी. ‘आप’ का सदस्य होने के कारण योगेंद्र को बुधवार को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के सदस्य पद से बर्खास्त कर दिया गया.
सरकार की दलील है कि योगेंद्र के यूजीसी सदस्य बने रहने से भविष्य में उच्च शिक्षा की इस सर्वोच्च संस्था का ‘‘राजनीतिकरण’’ होने की आशंका है. मानव संसाधन विकास मंत्रलय की ओर से योगेंद्र को 4 सितंबर को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था जिसमें कहा गया था कि 2011 में नियुक्ति के वक्त रही उनकी साख और विश्वसनीयता में अब काफी बदलाव आ चुका है.
अपने आदेश में मंत्रालय ने कहा, ‘‘यूजीसी (सदस्यों की अयोग्यता, सेवानिवृति एवं सेवा शर्तें) नियम 1992 के नियम 6 के तहत मिले अधिकारों का इस्तेमाल कर केंद्र सरकार तत्काल प्रभाव से योगेंद्र यादव को यूजीसी सदस्य के पद से सेवानिवृत करती है.’’आदेश में कहा गया कि ‘आप’ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य और यूजीसी में सदस्य के तौर पर उनके बने रहने से हितों का टकराव पैदा हो गया है और इससे खतरनाक परंपरा बन सकती है जिससे ‘‘भविष्य में यूजीसी एवं इसके अकादमिक निर्णय लेने की प्रक्रिया का राजनीतिकरण होने की आशंका है.’’केंद्र को आड़े हाथ लेते हुए योगेंद्र ने 10 सितंबर को दिए गए अपने जवाब में इस बात पर हैरत जतायी थी कि यदि वे कांग्रेस में शामिल हुए होते तो क्या मंत्रालय ने ऐसा ही ‘‘उत्साह’’ दिखाया होता.